खेपा त्यौहार
- यह किन्नौरों (किन्नौर जिले के निवासी) का महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। इसे दो प्रकार से मनाया जाता है।
- प्रथम रूप में स्थानीय लोग नहा-धोकर शलजम की लफ्फी बनाते हैं। छतों पर एक काँटेदार झाड़ी चो या ब्रेकलिड लगाई जाती है। उसे घर के अन्दर किसी कोने में रखा जाता है।
- द्वितीय रूप में यह पुलखेपा नाम से लोकप्रिय है।
- इसमें बकरों के सिर तथा पोल्टू (तली हुई रोटी) पकाए जाते हैं। बकरे के सींगों को जलाया जाता है, ताकि भूत-प्रेत दुर्गन्ध से दूर भाग जाएँ।
- खेपा का अर्थ आटे का सिद्ध होता है। यह भूत-प्रेत को भगाने का त्यौहार है।
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