Chamba District GK(History,Geography,Economy)

Chamba District GK(History,Geography,Economy)

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Chamba District GK(History,Geography,Economy)
chamba district

 

Himachal Pradesh General Knowledge All Topics:- Click Here
 
👉👉Basic Information of Chamba:-
  1. चम्बा जिले का गठन :- 15 अप्रैल 1948
  2. जिला मुख्यालय :- चम्बा
  3. सक्ष्र्राता :- 73.19%(2011  जनगणना के अनुसार )
  4. Area:- 6528 बर्ग किलोमीटर
  5. जनसँख्या :- 5,18,844(2011  जनगणना के अनुसार )
  6. लिंग अनुपात :-989 (2011  जनगणना के अनुसार )
  7. दशकीय बृद्वि दर :-12.58 %



👉👉 Geography Of Solan District:-
 
||Geography Of Chamba||Geography Of chamba In hindi|

चम्बा  जिला हिमाचल  प्रदेश के उत्तर पश्चिम में स्थित है। चम्बा के उत्तर और पश्चिम में जम्मू -कश्मीर ,पूर्व में लाहुल स्पित्ति और दक्षिण में काँगड़ा जिले की सीमा लगती है।

  • हाथी धार :- हाथी धार और धौलधार के बीच बटियात तहसील स्थित है
  • पांगी श्रखला:-  पांगी श्रखला को  पीर पंजाल कहा जाता है।

दर्रे :-

  • जालसु
  • साच
  • कुगति
  • पौंडरी
  • बसोदिन

नदियाँ :-
चिनाब  नदी थिरोट से चम्बा में प्रवेश करती है। और संसारी नाला से निकल कर जम्मू  प्रवेश करती है। उदयपुर में मीयर खड़ और साच में सेचुनाला चिनाब में मिलता है। रावी नदी बड़ा भंगाल  से निकलती है। बुढील सुर तुण्डाय  रावी की सहयाक नदिया है। साल नदी चम्बा के पास रावी से मिलती है। सियूल  रावी की सबसे बड़ी सयाहक नदी है। रावी नदी खेरी से चम्बा छोड़ कर जम्मू में प्रवेश करती है।

घाटिया :

  • रावी घाटी
  • चिनाब घाटी
  • भटियात घाटी और  सिन्घुता चम्बा की सबसे उप्जायु घाटी है।

झीले :- मणिमहेश ,गाडसर ,खजियार ,महाकाली ,लामा

चम्बा में 5 विधानसभा क्षेत्र है। बर्ष 2011 चम्बा की जन्म दर 18 और मृत्यु दर  8 थी।

👉👉History Of Chamba District:-
 
 History Of Chamba|| History Of Chamba In Hindi||
chamba की पहाड़ियों में मद्र-साल्व, यौधेय, ओदुम्बर और किरातों ने अपने राज्य स्थापित किए | इंडो-ग्रीक और कुषाणों के अधीन भी चम्बा रहा था |
1. चम्बा रियासत की स्थापना – चम्बा रियासत की स्थापना 550 ई. में अयोध्या से आए सूर्यवंशी राजा मारू ने की थी | मारू ने भरमौर (ब्रह्मपुर) को अपनी राजधानी बनाया | आदित्यवर्मन (620 ई.) ने सर्वप्रथम वर्मन उपाधि धारण की |
2. मेरु वर्मन (680 ई.) –मेरु वर्मन भरमौरका सबसे शक्तिशाली राजा हुआ | मेरु वर्मन ने वर्तमान चम्बा शहर तक अपने राज्य का विस्तार किया था | उसने कुल्लू के राजा दत्तेश्वर पाल को हराया था | मेरु वर्मन ने भरमौर में मणिमहेश मंदिर, लक्षणा देवी मंदिर, गणेश मंदिर, नरसिंह मंदिर और छत्तराड़ी में शक्तिदेवी के मंदिर का निर्माण करवाया | गुग्गा शिल्पीमेरु वर्मन का प्रसिद्ध शिल्पी था |
3. लक्ष्मी वर्मन (800 ई.) – लक्ष्मी वर्मन के कार्यकाल में महामारी से ज्यादातर लोग मर गए | तिब्बतियों (किरात) ने चम्बा रियासत के अधिकतर क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया | लक्ष्मी वर्मन की मृत्यु के बाद कुल्लू रियासत बुशहर के राजा की सहायता से चम्बा से स्वतंत्र हुआ |
4. मुसान वर्मन (820 ई.) – लक्ष्मी वर्मन की मृत्यु के बाद रानी ने राज्य से भाग कर एक गुफा में पुत्र को जन्म दिया | पुत्र को गुफा में छोड़कर रानी आगे बढ़ गई | परंतु वजीर और पुरोहित रानी की सच्चाई जानने के बाद जब गुफा में लौटे तो बहुत सारे चूहों को बच्चे की रक्षा करते हुआ पाया | यहीं से राजा का नाम ‘मूसान वर्मन’ रखा गया | रानी और मूसान वर्मन सुकेत के राजा के पास रहे | सुकेत के राजा ने अपनी बेटी का विवाह मुसान वर्मन से कर दी और उसे पंगाणा की जागीर दहेज में दे दी | मूसान वर्मन ने सुकेत की सेना के साथ ब्रह्मपुर पर पुन: अधिकार कर लिया | मूसान वर्मन ने अपने शासनकाल में चूहों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया था |
5. साहिल वर्मन (920 ई.) – साहिल वर्मन (920 ई.) ने चम्बा शहर की स्थापना की | राजा साहिल वर्मन के दस पुत्र एवं एक पुत्री थी जिसका नाम चम्पा वती था | उसने चम्बा शहर का नाम अपनी पुत्री चम्पा वती के नाम पर रखा | वह राजधानी ब्रह्मपुर से चम्बा ले गए | साहिल वर्मन की पत्नी रानी नैना देवी ने शहर में पानी की व्यवस्था के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया तब से रानी नैना देवी की याद में यहाँ प्रतिवर्ष सूही मेला मनाया जाता है | यह मेला महिलाओं और बच्चों के लिए प्रसिद्ध है | राजा साहिल वर्मन ने लक्ष्मी नारायण, चन्द्रशेखर (साहू) चन्द्रगुप्त और कामेश्वर मंदिर का निर्माण ही करवाया |
6. युगांकर वर्मन (940 ई.) –युगांकर वर्मन (940 ई.) की पत्नी त्रिभुवन रेखा देवी ने भरमौर में नरसिंह मंदिर का निर्माण करवाया | युगांकर वर्मन ने चम्बा में गौरी शंकर मंदिर का निर्माण करवाया |
7. सलवाहन वर्मन (1040 ई.) – राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर के शासक अनन्तदेव ने भरमौर पर सलवाहन वर्मन के समय में आक्रमण किया था |
8. जसाटा वर्मन (1105 ई.) – जसाटा वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला के विरुद्ध अपने रिश्तेदार हर्ष और उसके पोतें भिक्षचाचरा का समर्थन किया था | जसाटा वर्मन के समय का शिलालेख चुराह के लौहटिकरी में मिला है |
9. उदय वर्मन (1120 ई.) – उदय वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला से अपनी दो पुत्रियों देवलेखा और तारालेखा का विवाह किया जो सुशाला की 1128 ई. में मृत्यु के बाद सती हो गई |
10. ललित वर्मन (1143 ई.)
11. विजय वर्मन(1175 ई.) –विजय वर्मन ने मुम्मद गौरी के 1191 ई. और 1192 ई. के आक्रमणों का फायदा उठाकर कश्मीर और लद्दाख के बहुत से क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था |
12. गणेश वर्मन (1512 ई.) –गणेश वर्मन ने चम्बा राज परिवार में सर्वप्रथम ‘सिंह’ उपाधि का प्रयोग किया |
13. प्रताप सिंह वर्मन (1559 ई.) –1559 ई. में गणेश वर्मन की मृत्यु के बाद प्रताप सिंह वर्मन चम्बा का राजा बना | वे अकबर का समकालीन था | चम्बा से रिहलू क्षेत्र टोडरमल द्वारा मुगलों को दिया गया | प्रताप सिंह वर्मन ने काँगड़ा के राजा चंद्रपाल को हराकर गुलेर को चम्बा रियासत में मिला लिया था |
14. बलभद्र (1589 ई.) एवं जनार्धन – बलभद्र बहुत दयालु और दानवीर था | लोग उसे ‘बाली-कर्ण’ कहते थे | उसका पुत्र जनार्धन उन्हें गद्दी से हटाकर स्वयं गद्दी पर बैठा | जनार्धन के समय नूरपुर का राजा सूरजमल मुगलों से बचकर उसकी रियासत में छुपा था | सूरजमल के भाई जगत सिंहको मुगलों द्वारा काँगड़ा किले का रक्षक बनाया गया जो सूरजमल के बाद नूरपुर का राजा बना | जहाँगीर के 1622 ई. में काँगड़ा भ्रमण के दौरान चम्बा का राजा जनार्धन और उसका भाई जहाँगीर से मिलने गए | चम्बा के राजा जनार्धन और जगतसिंह के बीच ध्लोग में युद्ध हुआ जिसमें चम्बा की सेना की हार हुई | भिस्म्बर, जनार्धन का भाई युद्ध में मारा गया | जनार्धन को भी 1623 ई. में जगत सिंह ने धोखे से मरवा दिया | बलभद्र को चम्बा का पुन: राजा बनाया गया | परंतु चम्बा 20 वर्षों तक जगतसिंह के कब्जे में रहा |
15. पृथ्वी सिंह (1641 ई.) – जगत सिंह ने शाहजाहं के विरुद्ध 1641 ई. में विद्रोह कर दिया | इस मौके का फायदा उठाते हुए पृथ्वी सिंह ने मण्डी और सुकेत की मदद से रोहतांग दर्रे, पांगी, चुराह को पार कर चम्बा पहुंचा | गुलेर के राजा मानसिंह जो जगत सिंह का शत्रु था उसने भी पृथ्वी सिंह की मदद की | पृथ्वी सिंह ने बसौली के राजा संग्राम पाल को भलेई तहसील देकर उससे गठबंधन किया | पृथ्वी सिंह ने अपना राज्य पाने के बाद चुराह और पांगी में राज अधिकारियों के लिए कोठी बनवाई | पृथ्वी सिंह और संग्राम पाल के बीच भलेई तहसील को लेकर विवाद हुआ जिसे मुगलों ने सुलझाया | भलेई को 1648 ई. में चम्बा को दे दिया गया | पृथ्वी सिंह मुगल बादशाह शाहजहाँ का समकालीन था | उसने शाहजहाँ के शासनकाल में 9 बार दिल्ली की यात्रा की और ‘रघुबीर’ की प्रतिमा शाहजहाँ द्वारा भेट में प्राप्त की | चम्बा में खज्जीनाग (खजियार), हिडिम्बा मंदिर (मैहला), और सीताराम मंदिर (चम्बा) का निर्माण पृथ्वी सिंह के नर्स (दाई) बाटलू ने करवाया जिसने पृथ्वी सिंह के प्राणों की रक्षा की थी |
16. चतर सिंह (1664 ई.) –चतर सिंह ने बसौली पर आक्रमण कर भलेईपर कब्जा किया था | चतर सिंह औरंगजेब का समकालीन था | उसने 1678 ई. में औरंगजेब का सभी हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने के आदेश मानने से इन्कार कर दिया था |
17. उदय सिंह (1690 ई.) – चतर सिंह के पुत्र राजा उदय सिंह ने अपने चाचा वजीर जय सिंह की मृत्यु के बाद एक नाई को उसकी पुत्री के प्रेम में पड़कर चम्बा का वजीर नियुक्त कर दिया |

18. उम्मेद सिंह (1748 ई.) – उम्मेद सिंह के शासनकाल में चम्बा राज्य मण्डी की सीमा तक फ़ैल गया | उम्मेद सिंह का पुत्र राज सिंह राजनगर में पैदा हुआ | उम्मेद सिंह ने राजनगर में ‘नाडा महल’ बनवाया | रंगमहल (चम्बा) की नींव भी उम्मेद सिंह ने रखी थी | उसने अपनी मृत्यु के बाद रानी को सती न होने का आदेश छोड़ रखा था | उम्मेद सिंह की 1764 ई. में मृत्यु हो गई थी |
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