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Geography Of Chamba District(Hindi/English)

Geography Of Chamba District(Hindi/English)

Geography Of Chamba District in Hindi ||Geography Of Chamba District in English
Geography Of Chamba District(Hindi/English)
Geography Of Chamba District


Geography of chamba district In Hindi




 भौगोलिक स्थिति – चम्बा जिला हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है | चम्बा के उत्तर एवं पश्चिम में जम्मू-कश्मीर, पूर्व में लाहौल-स्पीती, दक्षिण में काँगड़ा जिले की सीमाएं लगती है |
 पर्वत शृंखलाएं – हाथीधार चम्बा में स्थित है | यह कम ऊंचाई वाले शिवालिक पर्वत है | हाथीधार और धौलाधार के बीच भटियात तहसील स्थित है | पांगी शृंखला पीर पंजाल को कहा जाता है |यह पीर पंजाल शृंखला बड़ा भंगाल से चम्बा में प्रवेश कर चम्बा को दो भागों में बांटती है | दगानी धार चम्बा और भद्रवाह (जम्मू-कश्मीर) के बीच की सीमा बनाता है |
दर्रे – जालसु, साच, कुगति, पौंडरी, बसोदन, चम्बा जिले के प्रसिद्ध दर्रे हैं |
 नदियाँ – चिनाब (चन्द्रभागा) नदी थिरोट से चम्बा में प्रवेश करती है और संसारी नाला से चम्बा से निकलकर जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करती है | उदयपुर में मियार खड्ड और साच में सैचुनाला चिनाब से मिलता है | रावी नदी बड़ा भंगाल से निकलती है | बुढिल सुर तुन्डाह रावी की सहायक नदियाँ है | साल नदी चम्बा के पास रावी से मिलती है | सियूल रावी की सबसे बड़ी सहायक नदी है | रावी नदी खैरी से चम्बा छोड़कर अन्य राज्य जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करती है |
 घाटियाँ – रावी घाटी, चिनाब(चन्द्रभागा) घाटी चम्बा में स्थित है | भटियात और सिंहुता चम्बा की सबसे उपजाऊ घाटी है |
झीलें – मणिमहेश, गढ़ासरू, खजियार, महाकाली, लामा |



Geography Of Chamba District in English


Geographical location – Chamba district is situated to the north-west of Himachal Pradesh. To the north and west of Chamba, there are boundaries of Jammu and Kashmir, Lahaul-Spiti in the east, and Kangra district in the south.
Mountain ranges – Hathi dhar is located in Chamba. It is a low altitude Shivalik mountain. Bhatiyat tehsil is situated between Hathidhar and Dhauladhar. The Pangi chain is called Pir Panjal. This Pir Panjal chain enters Chamba from Bada Bhangal and divides Chamba into two parts. Dagani Dhar forms the boundary between Chamba and Bhadarwah (Jammu and Kashmir).
Pass – Jalsu, Saach, Kugati, Poundari, Basodan, Chamba are the famous passes in the district.

Rivers – The Chenab (Chandrabhaga) river enters Chamba from Thirot and after crossing Sansari Nala, enters Chamba and enters Jammu and Kashmir. Miyar Khad in Udaipur and Saichunala in Sach meets Chenab. Ravi river originates from Bada Bhangal. Budhil Sur is the tributary of Tundah Ravi. Sal river meets Ravi near Chamba. Seul is the largest tributary of Ravi. Ravi river leaves Chamba from Khairi and enters other state of Jammu and Kashmir.
Valleys – Ravi Valley, Chenab (Chandrabhaga) Valley is located in Chamba. Bhatiyat and Sinhuta are the most fertile valley of Chamba.
Lakes – Manimahesh, Gadhasaru, Khajjiar, Mahakali, Lama |
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History Of Chamba District
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                                                 History Of Chamba District In Hindi

History of Chamba District – चम्बा की पहाड़ियों में मद्र-साल्व, यौधेय, ओदुम्बर और किरातों ने अपने राज्य स्थापित किए | इंडो-ग्रीक और कुषाणों के अधीन भी चम्बा रहा था |
1. चम्बा रियासत की स्थापना – चम्बा रियासत की स्थापना 550 ई. में अयोध्या से आए सूर्यवंशी राजा मारू ने की थी | मारू ने भरमौर (ब्रह्मपुर) को अपनी राजधानी बनाया | आदित्यवर्मन (620 ई.) ने सर्वप्रथम वर्मन उपाधि धारण की |
2. मेरु वर्मन (680 ई.) –मेरु वर्मन भरमौरका सबसे शक्तिशाली राजा हुआ | मेरु वर्मन ने वर्तमान चम्बा शहर तक अपने राज्य का विस्तार किया था | उसने कुल्लू के राजा दत्तेश्वर पाल को हराया था | मेरु वर्मन ने भरमौर में मणिमहेश मंदिर, लक्षणा देवी मंदिर, गणेश मंदिर, नरसिंह मंदिर और छत्तराड़ी में शक्तिदेवी के मंदिर का निर्माण करवाया | गुग्गा शिल्पीमेरु वर्मन का प्रसिद्ध शिल्पी था |
3. लक्ष्मी वर्मन (800 ई.) – लक्ष्मी वर्मन के कार्यकाल में महामारी से ज्यादातर लोग मर गए | तिब्बतियों (किरात) ने चम्बा रियासत के अधिकतर क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया | लक्ष्मी वर्मन की मृत्यु के बाद कुल्लू रियासत बुशहर के राजा की सहायता से चम्बा से स्वतंत्र हुआ |
4. मुसान वर्मन (820 ई.) – लक्ष्मी वर्मन की मृत्यु के बाद रानी ने राज्य से भाग कर एक गुफा में पुत्र को जन्म दिया | पुत्र को गुफा में छोड़कर रानी आगे बढ़ गई | परंतु वजीर और पुरोहित रानी की सच्चाई जानने के बाद जब गुफा में लौटे तो बहुत सारे चूहों को बच्चे की रक्षा करते हुआ पाया | यहीं से राजा का नाम ‘मूसान वर्मन’ रखा गया | रानी और मूसान वर्मन सुकेत के राजा के पास रहे | सुकेत के राजा ने अपनी बेटी का विवाह मुसान वर्मन से कर दी और उसे पंगाणा की जागीर दहेज में दे दी | मूसान वर्मन ने सुकेत की सेना के साथ ब्रह्मपुर पर पुन: अधिकार कर लिया | मूसान वर्मन ने अपने शासनकाल में चूहों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया था |
5. साहिल वर्मन (920 ई.) – साहिल वर्मन (920 ई.) ने चम्बा शहर की स्थापना की | राजा साहिल वर्मन के दस पुत्र एवं एक पुत्री थी जिसका नाम चम्पा वती था | उसने चम्बा शहर का नाम अपनी पुत्री चम्पा वती के नाम पर रखा | वह राजधानी ब्रह्मपुर से चम्बा ले गए | साहिल वर्मन की पत्नी रानी नैना देवी ने शहर में पानी की व्यवस्था के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया तब से रानी नैना देवी की याद में यहाँ प्रतिवर्ष सूही मेला मनाया जाता है | यह मेला महिलाओं और बच्चों के लिए प्रसिद्ध है | राजा साहिल वर्मन ने लक्ष्मी नारायण, चन्द्रशेखर (साहू) चन्द्रगुप्त और कामेश्वर मंदिर का निर्माण ही करवाया |
6. युगांकर वर्मन (940 ई.) –युगांकर वर्मन (940 ई.) की पत्नी त्रिभुवन रेखा देवी ने भरमौर में नरसिंह मंदिर का निर्माण करवाया | युगांकर वर्मन ने चम्बा में गौरी शंकर मंदिर का निर्माण करवाया |
7. सलवाहन वर्मन (1040 ई.) – राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर के शासक अनन्तदेव ने भरमौर पर सलवाहन वर्मन के समय में आक्रमण किया था |
8. जसाटा वर्मन (1105 ई.) – जसाटा वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला के विरुद्ध अपने रिश्तेदार हर्ष और उसके पोतें भिक्षचाचरा का समर्थन किया था | जसाटा वर्मन के समय का शिलालेख चुराह के लौहटिकरी में मिला है |
9. उदय वर्मन (1120 ई.) – उदय वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला से अपनी दो पुत्रियों देवलेखा और तारालेखा का विवाह किया जो सुशाला की 1128 ई. में मृत्यु के बाद सती हो गई |
10. ललित वर्मन (1143 ई.)
11. विजय वर्मन(1175 ई.) –विजय वर्मन ने मुम्मद गौरी के 1191 ई. और 1192 ई. के आक्रमणों का फायदा उठाकर कश्मीर और लद्दाख के बहुत से क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था |
12. गणेश वर्मन (1512 ई.) –गणेश वर्मन ने चम्बा राज परिवार में सर्वप्रथम ‘सिंह’ उपाधि का प्रयोग किया |
13. प्रताप सिंह वर्मन (1559 ई.) –1559 ई. में गणेश वर्मन की मृत्यु के बाद प्रताप सिंह वर्मन चम्बा का राजा बना | वे अकबर का समकालीन था | चम्बा से रिहलू क्षेत्र टोडरमल द्वारा मुगलों को दिया गया | प्रताप सिंह वर्मन ने काँगड़ा के राजा चंद्रपाल को हराकर गुलेर को चम्बा रियासत में मिला लिया था |
14. बलभद्र (1589 ई.) एवं जनार्धन – बलभद्र बहुत दयालु और दानवीर था | लोग उसे ‘बाली-कर्ण’ कहते थे | उसका पुत्र जनार्धन उन्हें गद्दी से हटाकर स्वयं गद्दी पर बैठा | जनार्धन के समय नूरपुर का राजा सूरजमल मुगलों से बचकर उसकी रियासत में छुपा था | सूरजमल के भाई जगत सिंहको मुगलों द्वारा काँगड़ा किले का रक्षक बनाया गया जो सूरजमल के बाद नूरपुर का राजा बना | जहाँगीर के 1622 ई. में काँगड़ा भ्रमण के दौरान चम्बा का राजा जनार्धन और उसका भाई जहाँगीर से मिलने गए | चम्बा के राजा जनार्धन और जगतसिंह के बीच ध्लोग में युद्ध हुआ जिसमें चम्बा की सेना की हार हुई | भिस्म्बर, जनार्धन का भाई युद्ध में मारा गया | जनार्धन को भी 1623 ई. में जगत सिंह ने धोखे से मरवा दिया | बलभद्र को चम्बा का पुन: राजा बनाया गया | परंतु चम्बा 20 वर्षों तक जगतसिंह के कब्जे में रहा |
15. पृथ्वी सिंह (1641 ई.) – जगत सिंह ने शाहजाहं के विरुद्ध 1641 ई. में विद्रोह कर दिया | इस मौके का फायदा उठाते हुए पृथ्वी सिंह ने मण्डी और सुकेत की मदद से रोहतांग दर्रे, पांगी, चुराह को पार कर चम्बा पहुंचा | गुलेर के राजा मानसिंह जो जगत सिंह का शत्रु था उसने भी पृथ्वी सिंह की मदद की | पृथ्वी सिंह ने बसौली के राजा संग्राम पाल को भलेई तहसील देकर उससे गठबंधन किया | पृथ्वी सिंह ने अपना राज्य पाने के बाद चुराह और पांगी में राज अधिकारियों के लिए कोठी बनवाई | पृथ्वी सिंह और संग्राम पाल के बीच भलेई तहसील को लेकर विवाद हुआ जिसे मुगलों ने सुलझाया | भलेई को 1648 ई. में चम्बा को दे दिया गया | पृथ्वी सिंह मुगल बादशाह शाहजहाँ का समकालीन था | उसने शाहजहाँ के शासनकाल में 9 बार दिल्ली की यात्रा की और ‘रघुबीर’ की प्रतिमा शाहजहाँ द्वारा भेट में प्राप्त की | चम्बा में खज्जीनाग (खजियार), हिडिम्बा मंदिर (मैहला), और सीताराम मंदिर (चम्बा) का निर्माण पृथ्वी सिंह के नर्स (दाई) बाटलू ने करवाया जिसने पृथ्वी सिंह के प्राणों की रक्षा की थी |
16. चतर सिंह (1664 ई.) –चतर सिंह ने बसौली पर आक्रमण कर भलेईपर कब्जा किया था | चतर सिंह औरंगजेब का समकालीन था | उसने 1678 ई. में औरंगजेब का सभी हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने के आदेश मानने से इन्कार कर दिया था |
17. उदय सिंह (1690 ई.) – चतर सिंह के पुत्र राजा उदय सिंह ने अपने चाचा वजीर जय सिंह की मृत्यु के बाद एक नाई को उसकी पुत्री के प्रेम में पड़कर चम्बा का वजीर नियुक्त कर दिया |



18. उम्मेद सिंह (1748 ई.) – उम्मेद सिंह के शासनकाल में चम्बा राज्य मण्डी की सीमा तक फ़ैल गया | उम्मेद सिंह का पुत्र राज सिंह राजनगर में पैदा हुआ | उम्मेद सिंह ने राजनगर में ‘नाडा महल’ बनवाया | रंगमहल (चम्बा) की नींव भी उम्मेद सिंह ने रखी थी | उसने अपनी मृत्यु के बाद रानी को सती न होने का आदेश छोड़ रखा था | उम्मेद सिंह की 1764 ई. में मृत्यु हो गई थी |
19. राज सिंह (1764 ई.) – राज सिंह अपने पिता की मृत्यु के बाद 9 वर्ष की आयु में राजा बना | घमण्ड चंद ने पथियार को चम्बा से छीन लिया | परंतु रानी ने जम्मू के रणजीत सिंह की मदद से इसे पुन: प्राप्त कर लिया | चम्बा के राजा राज सिंह और काँगड़ा के राजा संसारचंद के बीच रिहलू क्षेत्र पर कब्जे के लिए युद्ध हुआ | राजा राज सिंह की शाहपुर के पास 1794 ई.में युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई | निक्का, रांझा, छज्जू और हरकू राजसिंह के दरबार के निपुण कलाकार थे |
20. जीत सिंह (1794 ई ) – जीत सिंह के समय चम्बा राज्य ने नाथू वजीर को संसारचंद के खिलाफ युद्ध में सैनिकों के साथ भेजा | नाथू वजीर गोरखा अमर सिंह थापा, बिलासपुर के महानचंद आदि के अधीन युद्ध लड़ने गया था |
21. चरहट सिंह (1808 ई.) – चरहट सिंह 6 वर्ष की आयु में राजा बना | नाथू वजीर राजकाज देखता था | रानी शारदा (चरहट सिंह की माँ) ने 1825 ई. में राधा कृष्ण मंदिर की स्थापना की पद्दर के राज अधिकारी रतून ने 1820-25 ई. में जास्कर पर आक्रमण कर उसे चम्बा का भाग बनाया था | 1838 ई. में नाथू वजीर की मृत्यु के बाद ‘वजीर भागा’ चम्बा का वजीर नियुक्त किया गया | 1839 ई. में विगने और जनरल कनिंघम ने चम्बा की यात्रा की | चरहट सिंह की 42 वर्ष की आयु में 1844 ई. में मृत्यु हो गई |
22. श्री सिंह (1844 ई.) – श्री सिंह 5 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा | लक्कड़शाह ब्राह्मण श्री सिंह के समय प्रशासन पर नियंत्रण रखे हुए था जिसकी बैलज में हत्या कर दी गई | अंग्रेजों ने 1846 ई. को जम्मू के राजा गुलाब सिंहको चम्बा दे दिया परंतु वजीर भागा के प्रयासों से सर हैनरीलारेंस ने चम्बा के वर्तमान स्थिति रखने दी | भद्रवाह को हमेशा के लिए चम्बा से लेकर जम्मू को दे दिया गया | श्री सिंह के समय चम्बा 1846 ई. में अंग्रेजों के अधीन आ गया | श्री सिंह को 6 अप्रैल, 1848 को सनद प्रदान की गई |
श्रीं सिंह 1857 ई. के विद्रोह के समय अंग्रेजों के प्रति समर्पित रहा | उसने मियाँ अवतार सिंह के अधीन डलहौजी में अंग्रेजों की सहायता के लिए सेना भेजी | वजीर भागा 1854 ई. में सेवानिवृत हो गया और उसका स्थान वजीर बिल्लू ने ले लिया | मेजर ब्लेयर रीड 1863 ई. में चम्बा के सुपरीटेंडेंट बने | 1863 ई. में डाकघर खोला गया | चम्बा के वनों को अंग्रेजों को 99 वर्ष की लीज पर दे दिया गया | श्री सिंह की 1870 ई. में मृत्यु हो गई |
23. गोपाल सिंह (1870 ई.) – श्री सिंह का भाई गोपाल सिंह गद्दी पर बैठा | उसने शहर की सुन्दरता बढ़ाने के लिए कई काम किए | उसके कार्यकाल में 1871 ई. में लार्ड मायो चम्बा आये | गोपाल सिंह को गद्दी से हटा कर 1873 ई. में उसके बड़े बेटे शाम सिंह को राजा बनाया गया |
24. शाम सिंह (1873 ई.) – शाम सिंह को 7 वर्ष की आयु में जनरल रेनल टेलर द्वारा राजा बनाया गया और मियाँ अवतार सिंह को वजीर बनाया गया | सर हेनरी डेविस ने 1874 ई. में चम्बा की यात्रा की | शाम सिंह ने 1875 ई. और 1877 ई. के दिल्ली दरबार में भाग लिया | वर्ष 1878 ई. में जान हैरी को शाम सिंह का शिक्षक नियुक्त किया गया | चम्बा के महल में दरबार हॉल को C.H.T.मार्शल के नाम पर जोड़ा गया | वर्ष 1880 ई.में चम्बा में हाप्स की खेती शुरू हुई | सर चार्ल्स एटिकस्न ने 1883 ई. में चम्बा की यात्रा की |
1875 ई. में कर्नल रीड के अस्पताल को तोड़कर 1891 ई.में 40 बिस्तरों का शाम सिंह अस्पताल बनाया गया | रावी नदी पर शीतला पुल जो 1894 ई. कीबाढ़ टूट गया था | इसकी जगह पर लोहे का सस्पेंशन पुल बनाया गया | 1895 ई. में भटियात में विद्रोह हुआ | शाम सिंह के छोटे भाई मियाँ भूरी सिंह को 1898 ई. में वजीर बनाया गया | वर्ष 1900 ई. में लॉर्ड कर्जनऔर उनकी पत्नी चम्बा की यात्रा पर आए | 1902 ई. में शाम सिंह बीमार पड़ गए | वर्ष 1904 ई. में भूरी सिंह को चम्बा का राजा बनाया गया |
25. राजा भूरी सिंह (1904 ई.) – राजा भूरी सिंह को 1 जनवरी, 1906 ई. को नाईटहुड की उपाधि प्रदान की गई | भूरी सिंह संग्रहालय की स्थापना 1908 ई. में की गई | राजा भूरी सिंह ने प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) में अंग्रेजों की सहायता की | साल नदी पर 1910 ई. में एक बिजलीघर कर निर्माण किया गया जिससे चम्बा शहर को बिजली प्रदान की गई | राजा भूरी सिंह की 1919 ई. में मृत्यु हो गई | राजा भूरी सिंह की मृत्यु के बाद टिक्काराम सिंह (1919-1935) चम्बा का राजा बना |
26. राजा लक्ष्मण सिंह – राजा लक्ष्मण सिंह को 1935 ई. में चम्बा का अंतिम राजा बनाया गया | चम्बा रियासत 15 अप्रैल, 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बन गई |
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