Agriculture and Horticulture in himachal pradesh
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Agriculture and Horticulture in himachal pradesh |
👉👉Agriculture and Horticulture in himachal pradesh:-
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Agriculture – राज्य के कुल राज्य घरेलू उत्पाद का लगभग 15% कृषि तथा इससे संबंधित क्षेत्रों से प्राप्त होता है | प्रदेश के कुल 55.67 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से 9.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र 9.33 लाख किसानों द्वारा जोता जाता है | प्रदेश में औसतन जोत 1.04 हेक्टेयर है |
Agricultural climate- कुल जोते गए क्षेत्र में से 81.5% क्षेत्र वर्षा पर आधारित है | चावल, गेहूँ तथा मक्की राज्य की मुख्य खाद्य फसलें हैं | मूंगफली, सोयाबीन तथा सूरजमुखी खरीफ मौसम की तथा तिल, सरसों और तोरियां रबी मौसम की प्रमुख फसलें हैं | उड़द, बीन, मूंग, राजमाश राज्य में खरीफ की तथा चना, मसूर रबी की प्रमुख दालें हैं | कृषि जलवायु के अनुसार राज्य को चार क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है जैसे –
1. उपोष्णीय, उप पर्वतीय निचले पहाड़ी क्षेत्र
2. उप समशीतोष्ण नमी वाले मध्य पर्वतीय क्षेत्र
3. नमी वाले ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र
4. शुष्क तापमान वाले ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र व शीत मरुस्थल
👉👉प्रदेश की कृषि जलवायु आलू, अदरक तथा बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए बहुत ही उपयुक्त है | राज्य में औसतन 1435 मिमी. वर्षा होती है |
👉👉हिमाचल प्रदेश के कुल क्षेत्रफल के 12% भाग पर बिजाई की जाती है |
👉👉हिमाचल प्रदेश के कुल बिजाई क्षेत्रफल के 83.10% भाग में खाद्यान्नों की बिजाई की जाती है | सर्वाधिक बोयी जाने वाली फसल गेहूँ है |
1. गेहूँ – 38.5%
2. मक्की – 31.6%
3. धान – 8.6%
4. जौ – 2.7%
5. अन्य खाद्यान्न – 1.7%
कुल = 83.10%
👉👉 वर्ष 2009-10, 2010-11 और 2011-12 में मक्की का उत्पादन गेहूँ से अधिक हुआ है |
कुल बिजाई क्षेत्रफल के 3.6% भाग में दालों, 3.4% भाग में सब्जियों और 5.6% भाग में फलों की खेती होती है | सर्वाधिक खेती काँगड़ा जिले में होती है | काँगड़ा के बाद मण्डी जिले का स्थान आता है | लाहौल-स्पीति जिले में सबसे कम खेती होती है |
👉👉Major Crops of Himachal Pradesh:-
||Major Crops of Himachal Pradesh||major crops of hp||
1. गेहूँ – गेहूँ रबी की फसल है | हिमाचल प्रदेश के 38.5% कृषि योग्य भूमि पर गेहूँ की खेती होती है | कृषि अधीन क्षेत्र की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश में गेहूँ का स्थान प्रथम स्थान है | गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से मक्की के बाद दूसरे स्थान पर आता है | कांगड़ा जिले में गेहूँ के अंतर्गत सर्वाधिक (93859 हेक्टेयर) कृषि भू-भाग है, जबकि लाहौल-स्पीति में सबसे कम (57 हेक्टेयर) कृषि भू-भाग है | काँगड़ा जिले में गेहूँ का सर्वाधिक (90430 मीट्रिक टन) उत्पादन होता है जबकि लाहौल-स्पीति में सबसे कम (80 मीट्रिक टन) उत्पादन होता है | आर. आर. -21, कल्याण सोना, सोनालिका गेहूँ की उत्तम किस्में है |
2. मक्का – मक्का खरीफ की फसल है | हिमाचल प्रदेश के 31.6% कृषि योग्य भूमि पर मक्का की खेती होती है | कृषि अधीन क्षेत्र की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश में मक्का का स्थान दूसरा है | मक्का उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है | काँगड़ा जिले में मक्का के अधीन सर्वाधिक (58455 हेक्टेयर) कृषि भू-भाग है | लाहौल-स्पीति जिले में सबसे कम मक्का का उत्पादन होता है | हिम-123, गंगा-3, विजय और अम्बर मक्का की उत्तम किस्में है | मक्का उत्पादन में हिमाचल प्रदेश भारत में पाँचवें स्थान पर है |
3. चावल – चावल/धान खरीफ की फसल है | कृषि योग्य भूमि के 8.6% भाग पर चावल की खेती होती है | कृषि अधीन क्षेत्र की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश में चावल का तीसरा स्थान है | काँगड़ा जिले में सर्वाधिक चावल की खेती और उत्पादन होता है |
4. जौ – वर्ष 2011-12 में 32.68 हजार टन जौ का उत्पादन हुआ था | कुल कृषि योग्य भूमि के 2.7% भू-भाग में जौ की खेती होती है | वर्ष 2008-09 में जौ का सर्वाधिक उत्पादन (4290 मीट्रिक टन) कुल्लू जिले में हुआ था जबकि जौ के अधीन सर्वाधिक क्षेत्रफल में खेती (4042 हेक्टेयर) चम्बा जिले में हुई | ऊना जिले में न्यनतम जौ का उत्पादन होता है |
5. रागी – वर्ष 2011-12 में 2.80 हजार टन रागी का उत्पादन हुआ था | शिमला जिले में रागी का सर्वाधिक उत्पादन होता है |
6. दालें – वर्ष 2011-12 में 34.92 हजार टन दालों का उत्पादन हुआ था | वर्ष 2008-09 में शिमला जिले में 4740 मीट्रिक टन तथा मण्डी जिले में 4670 मीट्रिक टन दालों का उत्पादन हुआ था | शिमला जिले में दालों के अंतर्गत सर्वाधिक कृषि भू-भाग है | लाहौल-स्पीति में दालों का उत्पादन नहीं होता है | कृषि योग्य भूमि के 3.6% भू-भाग पर दालों की खेती होती है |
👉👉 कुल खाद्यान्न उत्पादन में काँगड़ा जिला प्रथम, मण्डी जिला दूसरे और ऊना जिला तीसरे स्थान पर है |
7. तिलहन – तिलहन का सर्वाधिक उत्पादन काँगड़ा जिले में होता है जबकि न्यनतम उत्पादन किन्नौर जिले में होता है | वर्ष 2008-09 में 4980 मीट्रिक टन तिलहन का उत्पादन हुआ जबकि 15441 हेक्टेयर में तिलहन की खेती की गई |
8. चुकंदर – किन्नौर में चुकंदर का उत्पादन होता है |
9. अदरक – हिमाचल प्रदेश का अदरक उत्पादन में देश भर में केरल के बाद दूसरा स्थान है | सिरमौर में सर्वाधिक अदरक (11692 मीट्रिक टन 2008-09 में) का उत्पादन होता है |
हिमाचल प्रदेश के कुल कृषि योग्य भूमि के 3.4% भू-भाग पर सब्जियां उगाई जाती हैं | वर्ष 2011-12 में 1356.60 हजार टन सब्जियों का उत्पादन हुआ | हिमाचल प्रदेश में 67968 हेक्टेयर भू-भाग में सब्जियाँ उगाई जाती हैं | वर्ष 2011-12 में सर्वाधिक सब्जियाँ शिमला जिले में (11986 हेक्टेयर) उगाई गई परन्तु सर्वाधिक सब्जियों का उत्पादन सोलन जिले में (244.43 हजार टन) हुआ | सबसे कम सब्जियों का उत्पादन व खेती ऊना जिले में होती है |
1. आलू – हिमाचल प्रदेश को ‘होम ऑफ़ सीड पोटैटो’ कहा जाता है | हिमाचल प्रदेश आलू के उत्पादन में दसवें स्थान पर है | शिमला जिले में आलू का सर्वाधिक उत्पादन होता है | शिमला जिले में 77 हजार टन आलू का उत्पादन हुआ | कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अलंकार, कुफरी जीवन, कुफरी ज्योति, गिरिराज, पुखराज, अशोका, जवाहर, ज्योति, सिंदरी, बादशाह, गुलमर्ग आलू की मुख्य किस्में हैं | शिमला के कुफरी में CPRI (केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान) स्थित है जो 1956 में पटना से शिमला के कुफरी में स्थानांतरित किया गया | लाहौल घाटी का प्रति हेक्टेयर आलू उत्पादन में विश्व रिकार्ड है |
2. मटर – लिंकन बून विला मटर की एक किस्म है |
3. टमाटर – सोलन जिले में सर्वाधिक टमाटर का उत्पादन होता है |
4. काला जीरा – काला जीरा किन्नौर में सर्वाधिक होता है |
5. मिर्च – सिरमौर जिले में मिर्च का सर्वाधिक उत्पादन होता है | सिरमौर जिले में 92 मीट्रिक टन मिर्च का उत्पादन हुआ |
6. खुम्भ/मशरूम – सोलन को खुम्भ नगरी / मशरूम शहर कहते हैं | यहाँ मशरूम का सर्वाधिक उत्पादन होता है | सोलन में राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान संस्थान स्थित है | वर्ष 2012-13 में 3471 मीट्रिक टन मशरूम उत्पादन हुआ |
👉👉Other agricultural activities:-
– वर्ष 2010-11 मिट्टी जांच के लिए एक चलित प्रयोगशाला पालमपुर में स्थापित की गई है | हिमालय क्षेत्र के कुल बायोगैस उत्पादन का लगभग 90.86% अकेले हिमाचल प्रदेश में होता है | हिमाचल प्रदेश में सितम्बर 2012 तक 1614 बैंक शाखाओं ने 4,91,756 K.K.C. (किसान क्रेडिट कार्ड) जारी किए थे और 2334 करोड़ के कृषि ऋण दिए गए थे | वर्ष 1999-2000 में “राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना” आरंभ की गई | हिमाचल प्रदेश कृषि वानिकी उत्पादन विपणन एक्ट 2005 लागू किया गया, जिसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश विपणन बोर्ड की स्थापना की गई | वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना प्रदेश में आरंभ हुई |
– वर्ष 2010-11 मिट्टी जांच के लिए एक चलित प्रयोगशाला पालमपुर में स्थापित की गई है | हिमालय क्षेत्र के कुल बायोगैस उत्पादन का लगभग 90.86% अकेले हिमाचल प्रदेश में होता है | हिमाचल प्रदेश में सितम्बर 2012 तक 1614 बैंक शाखाओं ने 4,91,756 K.K.C. (किसान क्रेडिट कार्ड) जारी किए थे और 2334 करोड़ के कृषि ऋण दिए गए थे | वर्ष 1999-2000 में “राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना” आरंभ की गई | हिमाचल प्रदेश कृषि वानिकी उत्पादन विपणन एक्ट 2005 लागू किया गया, जिसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश विपणन बोर्ड की स्थापना की गई | वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना प्रदेश में आरंभ हुई |
👉👉Horticulture In Himachal Pradesh:-
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हिमाचल प्रदेश के 5.6% कृषि योग्य भू-भाग पर फलों को उगाया जाता है | वर्ष 2010-11 में बागवानी के अंतर्गत 211.295 हजार हेक्टेयर क्षेत्र था जिसमें से सेब के अधीन 101.485 हजार हेक्टेयर और आम के अधीन 39.194 हजार हेक्टेयर क्षेत्र था | सर्वाधिक 41.328 हजार हेक्टेयर क्षेत्र पर फलों को शिमला जिले में उगाया गया, दूसरा स्थान काँगड़ा जिले का आता है |
हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2011-12 में 3.60 लाख टन फलों का उत्पादन हुआ जिसमें से 2.75 लाख टन सेब का और 27 हजार टन आम का उत्पादन हुआ | शिमला जिला 1.73 लाख टन फलों के उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर व कुल्लू जिला 54 हजार टन फलों के उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर रहा |
1. सेब – हिमाचल प्रदेश भारत में सेब उत्पादन में जम्मू-कश्मीर के बाद दूसरे स्थान पर आता है | अलेक्जेण्डर कोल्ट ने 1887 ई. में शिमला के मशोबरा में सेब के बाग़ लगवाए | सेब की खेती वास्तव में 1918 ई. में प्रारम्भ हुई जब सैमुअल इवान्स स्टोक्स ने कोटगढ़ में अमेरिकी किस्म के सेब के बाग़ लगवाए | आर. सी. ली. ने 1870 ई. में हिमाचल प्रदेश में ब्रिटिश किस्म के सेब के बाग़ लगवाए | जॉनथन रेड डिलीशियस, रोम ब्यूटी, आर. ली. शानवरी, ब्यूटी ऑफ़ शिमला सेब की किस्में है | शिमला जिले में सर्वाधिक सेब का उत्पादन होता है |
2. कुठ – कुठ की खेती मुख्यत: लाहौल-स्पीति में की जाती है | इसका उत्पादन 1925 ई. में शुरू हुआ |
3. केसर – केसर का उत्पादन लाहौल-स्पीति जिले में होता है |
4. किवी – किवी को चीनी गुजबैरी भी कहते हैं | शिमला में किवी का उत्पादन 1969 ई. में शुरू हुआ | सर्वाधिक किवी का उत्पादन सोलन जिले में होता है |
5. आम – आम का सर्वाधिक उत्पादन (16.7 हजार टन) काँगड़ा जिले में होता है | ऊना जिले का आम उत्पादन में दूसरा स्थान है |
👉👉Fruit growing districts In Himachal Pradesh:-
1. फल :- सेब
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- शिमला
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- शिमला
2. फल :- प्लम
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- कुल्लू
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- मण्डी
3. फल :- चैरी
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- शिमला
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- शिमला
4. फल :- बादाम
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- शिमला
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- शिमला
5. फल :- अखरोट
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- सिरमौर
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- चम्बा
6. फल :- आम
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- काँगड़ा
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- काँगड़ा
7. फल :- लीची
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- काँगड़ा
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- काँगड़ा
8. फल :- अमरूद
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- काँगड़ा
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- काँगड़ा
9. फल :- अंगूर
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- किन्नौर
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- किन्नौर
10. फल :- अनार
• सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला जिला :- कुल्लू
• सर्वाधिक फल क्षेत्रफल वाला जिला :- मण्डी
7. चाय – चाय का सर्वाधिक उत्पादन काँगड़ा जिले में होता है | काँगड़ा जिले में चाय का उत्पादन 1850 ई. में शुरू हुआ | काँगड़ा चाय ग्रीन गोल्ड नाम से बिकती है | चाय की खेती 2300 हेक्टेयर क्षेत्र में होती है |
8. सूखे मेवे – सूखे फल और मेवों का क्षेत्र 1960-61 के 231 हेक्टेयर से बढ़कर 2011-12 में 11,039 हेक्टेयर हो गया |
Note:-हिमाचल प्रदेश में 2012 तक 556 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती होती थी | वर्ष 2012-13 में 243 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हुआ | खड़ा पत्थर (शिमला) के समीप “एंटी हेलगन तथा रडार” स्थापित किया गया है | शिमला के नौबहार, काँगड़ा के धर्मशाला और कुल्लू के बजौरा में (FPNL) फलीय पौधे पोषाहार प्रयोगशाला स्थित है |
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