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||Bhunda Festival In Hindi||Bhunda Festival In Himachal pradesh ||Bhunda Festival In Hp||
- ‘भुण्डा’ उत्सव ब्राह्मणों का, ‘शान्द’ राजपूतों का तथा ‘भोज’ कोलियो का त्योहार है।
- भुण्डा उत्सव बारह वर्ष के बाद मनाये जाते हैं।
- निरमण्ड का भुण्डा उत्सव सबसे प्रसिद्ध है।
- भुण्डा का संबंध परशुराम जी की पूजा से है।
- परशुराम पूजा पाँच स्थानों पर होती है, ये स्थान हैं, मण्डी में काओ और ममेल, कुल्लू में निरमण्ड एवं नीरथ तथा ऊपरी शिमला में दत्तनगर। यह नरमेध की तरह होता है।
- यह उत्सव खशों की नागों और बेड़ों पर जीत का सूचक है।
- इसमें पर्वत की चोटी से नीचे तक रस्सा बाँध दिया जाता था जिस पर मनुष्य फिसल कर नीचे आता था। वर्तमान में बकरी को पटरे पर बैठाकर नीचे की ओर धकेला जाता है।
- ‘बेडा’ जाति के लोग ‘मूंज’ इकट्ठा कर 100 से 150 मीटर लम्बी रस्सी तैयार करते हैं। निश्चित दिन पर ‘बेड़ा’ स्नान करता है। पुजारी उसकी पूजा करते हैं और उसे देवता माना जाता है। पर्वत की चोटी पर रस्सी से बंधे टुकड़े पर’बेड़ा’ को बैठा कर फिसलाया जाता था। पुजारी के संकेत पर उसे थमने वाली रस्सी काट दी जाती थी।
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