Himachal Pradesh General Knowledge – Panchayati Raj
HP Panchayati Raj |
Himachal Pradesh General Knowledge – Panchayati Raj in Hindi||Himachal Pradesh General Knowledge – Panchayati Raj
1. पंचायतीराज व्यवस्था (HP Panchayati raj)- हिमाचल प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज्य व्यवस्था है | ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायतें, विकास खण्ड स्तर पर पंचायत समितिहै और जिला स्तरपर जिला परिषद | प्रदेश में सबसे पहले पंचायतों की स्थापना पंचायतअधिनियम, 1952 के अंतर्गत कीगई | हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1993 में पारित किया गया जो अब भीलागू है | ग्राम सभा जिसकी जनसंख्या 2000 से कम होतीहै, उसमें प्रधान, उप–प्रधान सहित7 सदस्य होते हैं | 2000 से 3500 वाली पंचायत में 9 और इससे अधिकजनसंख्या वाली पंचायतों में 11 सदस्य होते हैं | ग्राम पंचायतों में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया है |
2. GDP (सकलघरेलू उत्पाद) और प्रति व्यक्तिआय (HP Panchayati raj–
(i)वर्ष2010-11 में राज्य का सकल घरेलूउत्पाद स्थिर भावों (2004-2005) पर 39,036 करोड़ से बढ़कर वर्ष2011-12 में 41,939 करोड़ हो जाने सेइस वर्ष की आर्थिक विकासदर 7.4% रही जबकि यह दर पिछलेवर्ष 8.7% थी | प्रचलित भावों पर सकल घरेलूउत्पाद वर्ष 2010-11 में 56,355 करोड़ की तुलना मेंवर्ष 2011-12 में 63,812 करोड़ आँका गया है | यह 13.2% की वृद्धि दर्शाताहै | 2012-13 में आर्थिक विकास दर 6.2% रही |
(ii)वर्ष2010-11 में प्रचलित भावों पर प्रति व्यक्तिआय 67,475 से बढ़कर वर्ष2011-12 अनुमानों के अनुसार 74,694 होगई जोकि 10.7% की वृद्धि दर्शातीहै | सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि का मुख्य कारणसामुदायिक एवं व्यक्तिगत सेवाएं 20.0%, यातायात व व्यापार क्षेत्रकी 8.9%, वित्त व स्थावर सम्पदा8.1%रही जबकि प्राथमिक क्षेत्र में 5.2% की कमी आईहै | खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2010-11 में 14.94 लाख मीट्रिक तन से बढ़कर2011-12 में 15.54 लाख मीट्रिक टन रहा और2012-13 में उत्पादन बढ़कर 15.80 लाख मीट्रिक टन होने कीसंभावना है |
(iii)उद्योगव सेवा क्षेत्रों का प्रतिशत योगदान1950-51 में क्रमश: 1.1 व 5.9 प्रतिशत से बढ़कर 1967-68 में5.6 तथा 12.4 प्रतिशत, 1990-91 में 9.4 प्रतिशत तथा 19.8 प्रतिशत और 2011-12 में 18.0 प्रतिशत तथा 12.3 प्रतिशत हो गया | शेषक्षेत्रों में 1950-51 के 35.5 प्रतिशत की तुलना में2011-12 में 49.7 प्रतिशत का सकारात्मक सुधारहुआ है |
(iv)अर्थ–व्यवस्था में कृषि क्षेत्र से उद्योग वसेवा क्षेत्रों के पक्ष मेंरूझान पाया गया क्योंकि कृषि क्षेत्र का कुल राज्यघरेलू उत्पाद में प्रतिशत योगदान जो वर्ष 1950-52 में57.9 प्रतिशत था तथा घटकर1967-68 में 55.5 प्रतिशत, 1990-91 में 26.5 प्रतिशत और 2011-12 में 13.69 प्रतिशत रह गया |
(v) विभिन्नक्षेत्रों का योगदान – क्षेत्रीयविश्लेषण के अनुसार वर्ष2011-12 में प्रदेश की राज्य आयमें प्राथमिक क्षेत्रों का योगदान 19.15 प्रतिशतरहा | गौण क्षेत्रों का 40.20 प्रतिशत, सामुदायिक वैयक्तिक क्षेत्रों का 18.14 प्रतिशत, परिवहन संचार एवं व्यापार का 14.91 प्रतिशत तथा वित्त एवं स्थावर सम्पदा का योगदान 7.60 प्रतिशतरहा |
प्रदेशअर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रोंके योगदान में इस दशक मेंमहत्त्वपूर्ण परिवर्तन पाए गए | कृषि क्षेत्र जिसमें उद्यान व पशुपालन भीसम्मिलित है , का प्रतिशत योगदानवर्ष 1990-91 में 26.5 प्रतिशत से घटकर वर्ष2011-12 में 13.69 प्रतिशत रह गया | फिरभी प्रदेश की अर्थव्यवस्था मेंकृषि क्षेत्र का सर्वाधिक महत्त्वरहा | यही कारण है कि खाद्यान्न/ फल उत्पादन में आया तनिक भी उतार–चढ़ावअर्थव्यवस्था को प्रभावित करताहै | प्राथमिक क्षेत्रों का योगदान, जिनमेंकृषि, वानिकी, मत्स्य पालन तथा खनन व उत्खनन सम्मिलितहैं, 1990-91 में 35.1 प्रतिशत से घटकर 2011-12 में19.15 प्रतिशत रह गया |
गौणक्षेत्रों जिनका प्रदेश की अर्थव्यवस्था मेंदूसरा प्रमुख स्थान है में वर्ष1990-91 के पश्चात महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है | इसका प्रतिशत योगदान वर्ष 1990-91 में 26.5 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष2011-12 में 40.20 प्रतिशत हो गया जोकि प्रदेश औद्योगीकरण व आधुनिकीकरण कीओर स्पष्ट रूझान को दर्शाता है| विद्युत, गैस व जल आपूर्तिजो कि गौण क्षेत्रोंका ही एक अंगहै का भाग वर्ष1990-91 में 4.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष2011-12 में 8.5 प्रतिशत हो गया अन्यसेवा संबंधी क्षेत्रों जैसे कि व्यापार, यातायात, संचार, बैंक, स्थावर सम्पदा और व्यावसायिक सेवाएँतथा सामुदायिक व वैयक्तिक सेवाओंका योगदान भी सकल घरेलूउत्पाद में वर्ष 2011-12 में 40.65 प्रतिशत रहा |
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