History Of Kullu District

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Histroy Of Kullu District

||History Of Kullu District||History Of Kullu District in hindi||
History Of Kullu District
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1. कुल्लू रियासत की स्थापना – कुल्लू का पौराणिक ग्रन्थों में ‘कुल्लूत देश’ के नाम से वर्णन मिलता है | रामायण, विष्णुपुराण, महाभारत, मार्कण्डेय पुराण, वृहत्संहिता और कल्हण की राजतरंगिणी में कुल्लूत का वर्णन मिलता है | वैदिक साहित्य में कुल्लूत देश को गन्धर्वों की भूमि कहा गया है | कुल्लू घाटी को ‘कुलांतपीठ’ भी कहा गया है क्योंकि इसे रहने योग्य संसार का अंत माना गया था |

कुल्लू रियासत की स्थापना विहंगमणिपाल ने हरिद्वार (मायापुरी) से आकर की थी | भगवती हिडिम्बा देवी के आशीर्वाद से विहंगमणिपाल ने रियासत की पहली राजधानी (नास्त) जगतसुख स्थापित की | विहंगमणिपाल के पुत्र पच्छ्पाल ने ‘गजन’ और ‘बेवला’ के राजा को हराया |

2. महाभारत काल – कुल्लू रियासत की कुल देवी हिडिम्बा ने भीम से विवाह किया था | घटोत्कच भीम और हिडिम्बा का पुत्र था जिसने महाभारत युद्ध में भाग लिया था | भीम ने हिडिम्ब (टांडी) का वध किया था जो देवी राक्षसी हिडिम्बा का भाई था |

3. सिंह बदानी वंश – कैलाशपाल के बाद के 50 वर्षों के अधिकतर समय में कुल्लू सुकेत रियासत के अधीन रहा | वर्ष 1500 ई. में सिद्ध सिंह ने सिंह बदानी वंश की स्थापना की | उन्होंने जगतसुख को अपनी राजधानी बनाया |

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