Indian Folk Dances Notes For HP Police Constable Exam

Indian Folk Dances Notes For HP Police Constable Exam

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Indian Folk Dances Notes For HP Police Constable Exam

Indian Folk Dances Notes For HP Police Constable Exam:-If you are preparing for Himachal Pradesh Police Constable Exam then these notes will prove to be very important for you. Visit our website regularly.

Indian Folk Dances Notes For HP Police Constable Exam

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) • कुम्मी, सिद्धि माधुरी, घंटा मर्दाला, बुट्टा बोम्मालु, भामकल्पम, डप्पू, तपतागुल्लू, लम्बाड़ी, ढिम्सा कोलाट्टम, वीरनाट्यम, गोबी, डांडरिया, बोनालु, मधुरी।

Important Points :-

  • कुम्मी नृत्य, भारत में तमिलनाडु और केरल में भी लोकप्रिय है।
  • कुम्मी नृत्य को महिलाएँ घेरे में खड़ी होकर प्रस्तुत करती हैं।
  • कुम्मी लोकनृत्य में संगीत वाद्य नहीं होते हैं, इसमें ताल बनाए रखने के लिये प्रतिभागी तालियाँ बजाकर नृत्य करते हैं।
  • गोबी नृत्य विशेष तौर पर विवाहों में किया जाता है। इस नृत्य में कई संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग “वाह-वाह” के शोर के साथ किया जाता है।
  • मधुरी नृत्य को मधुरी जनजातियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है. जो श्रावण वर्षा के दौरान किया जाता है।
  • डांडरिया नृत्य, रंग-बिरंगे परिधानों में सजे पुरुष नर्तकों का एक समूह नृत्य के दौरान आस-पास के गाँवों का दौरा करता है, जहाँ उनका दिल से स्वागत किया जाता है।
  • वीरनाट्यम नृत्य भक्तिपूर्ण अनुष्ठान को समर्पित नृत्य है। इस समुदाय के लोग भगवान शिव के सीधे वंश का दावा करते हैं।
  • वीरनाटयम का प्रदर्शन आंध्र प्रदेश के प्रत्येक शिव मंदिर में होता है।
  • बुहा बोमालु नृत्य में प्रत्येक नर्तक सिर और कंधों पर विभिन्न मुखौटे पहनता है।
  • ढिम्सा नृत्य की वेशभूषा विशिष्ट जनजातीय कपड़े की है। यह नृत्य 15-20 महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य में आठ अलग-अलग श्रेणियाँ हैं।
  • बथकुम्मा मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और बथकम्मा महोत्सव के समय महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • बोनलु नृत्य में लोक संतुलन महिलाओं के सिर पर बर्तन रखकर किया जाता है।

असम (Assam) • बिछुआ, नटपूजा, महारास, खेल गोपाल, बिहू, अकियानाट, कलिगोपाल, नागानृत्य, बागुरुम्बा, बधुकम्बा, कोनाई, झुमुरा।

Important Points :-

  • बिछुआ एक आदिवासी क्षेत्र है। इस नृत्य में रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति मुख्यत बच्चों के द्वारा की जाती है।
  • बागुरुम्बा नृत्य असम का लोक नृत्य है, जो बोडो जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह बोडो उत्सव के दौरान किया जाता है।
  • बिहू एक समूह नृत्य है, जिसमें पुरुष और महिलाएँ एक साथ नृत्य करते हैं।
  • झुमूरा नृत्य असम के आदिवासी या चाय जनजाति समुदाय द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) • मुखौटा, युद्ध नृत्य, बुइया, छालो, वांचो, पासी कोंगकी, लायन एंड पीक, पोग, पोपीर, बोडों छम, रिखमपाडा।

Important Points :-

  • मुखौटा नृत्य का संबंध कथकली के नृत्य शैली से है। युद्ध नृत्य को भी मुखौटा नृत्य कहते हैं।
  • बुड्या लोक नृत्य दिगारू मिश्मी जनजाति से संबंधित है।
  • पोंग नृत्य फसल के मौसम का जश्न मनाता है और पौराणिक गीत अक्सर धान और फसलों के स्रोत से संबंधित है।
  • वांची डांस अरुणाचल प्रदेश की एक विशेष जनजाति नृत्य है। बारडो छम नृत्य में कलाकार रंगीन मुखौटे पहनते हैं और संगीत के अच्छे और बुरे के बीच लड़ाई को लागू करते हैं।
  • लायन एण्ड पीक डांस अरूणाचल प्रदेश की जनजाति मोनपा का एक लोकनृत्य है। इसमें नर्तकिया मुर्गा और शेर के सिर के समान मुखौटे पहनती हैं।
  • रिखमपाडा नृत्य को ‘अबोटोनी’ (पूर्वासी पूर्वज) ने प्रस्तुत किया था।

बिहार (Bihar) • जाट-जाटिन, पावरिया, बिदेसिया, कजरी, छऊ, करमा, धोबिया, जोगिया, झिझिया, झरनी, पाइका जुमरी।

Important Points :-

  • बिदेसिया वास्तव में एक प्रकार का नाटक है, जो परंपरा और आधुनिकता, शहरी और ग्रामीण और अमीर-गरीब जैसे विरोधाभाषी विषयों से संबंधित है।
  • जाट-जटिन नृत्य को युगल नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य का मूल विषय जाट और जटिन की प्रेम कहानी है।
  • जुमरी नृत्य की समानता गुजरात के गरबा नृत्य से होती है। झिझिया नृत्य को बारिश में इन्द्र देवता को प्रसन्न करने के अनुष्ठान करने के लिए किया जाता है।
  • कजरी नृत्य का विषय बरसात के मौसम को पुरस्कृत करना है।
  • पाइका नृत्य का उद्देश्य नृत्य करने वाले योद्धाओं की शारीरिक उत्तेजना व गतिविधियों का विकास है।

छत्तीसगढ़ (Chhatishgarh) • करमा, डगला, पाली, टपाली, झूमर, गेड़ी, पण्डवानी नवारानी, पंथी, राउतनाच, बागमती, कापालिक, धारथरी, चंदेनी, सुआ नाचा, सैला।

Important Points :-

  • करमा नृत्य छत्तीसगढ़ में गोंड, बैगा और उरांव जैसे आदिवासी समूहों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह नृत्य वर्षाकाल की समाप्ति और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।
  • पंथी नृत्य सतनामी समुदाय का एक प्रसिद्ध समारोह है।
  • गेंडी नृत्य में दो लंबे बांस या सिर्फ किसी निश्चित डंडे पर नर्तकी डांस करती है।
  • सुआ नाचा नृत्य को तोता नृत्य भी कहा जाता है। यह गौरा विवाह की स्थिति में किया जाता है।
  • सैला नृत्य का उद्देश्य फसल के बाद समय के लिये बहुत उत्साह व भावना के संचार से है।
  • चदैनी नृत्य छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में लोककथाओं पर आधारित एक महत्वपूर्ण नृत्य है। राउतनाच, यादव समुदाय का दीपावली पर किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है। नृत्य में दोहे गाये जाते हैं। पण्डवानी नृत्य, महाभारत की कथा को प्रदर्शित करता है।

गोवा (Goa) • फुगंडी, डेखनी नृत्य, धनगर, टोनीमेल, कोरेडिन्हो, मोरूलेम, कुनबी, तलगडी, जागोर, भोंवादो, मुसोल नच द डेलो।

Important Points :-

  • द डेलो लोक नृत्य का आयोजन महिलाओं द्वारा किया जाता है। पहले फसल को काटा और संग्रहित किया जाता है। सर्दियों में चांदनी रातों पर गाँव के माड में डोलो का आयोजन किया जाता है।
  • डेखनी नृत्य धूमल के साथ किया जाता है तथा बच्चों को पूर्णतः समर्पित होता है। धनगर नृत्य चरवाहों के एक समुदाय से धनगर जी बीरा देवता नाम के लोक देवता की पूजा करते हैं।
  • फुगंडी नृत्य सबसे लोकप्रिय नृत्य है, जो केवल महिलाओं द्व ारा किया जाता है।

गुजरात (Gujrat) गरबा, डाण्डिया, टिप्पनी, लास्या, रासलीला, जुरिथुन, पनिहारी, भवई।

Important Points :-

  • गरबा गुजरात का एक लोकप्रिय लोकनृत्य है और भारत के सभी हिस्सों में प्रदर्शित किया जाता है। नवरात्रि के समय, यह नृत्य पूरे नौ रातों में किया जाता है।
  • डाण्डिया नृत्य को लोकप्रिय नृत्यों में से छड़ी नृत्य के रूप में जाना जाता है। इस नृत्य में इस्तेमाल की जाने वाली लाठी को देवी दुर्गा की तलवार माना जाता है।
  • भवई नृत्य को भावनाओं का नृत्य माना जाता है। इस नृत्य में नर्तक अपने सिर पर 7 से 9 पीतल के घड़े को संतुलित करते हैं।
  • टिप्पनी नृत्य मजदूरों के बीच उत्पन्न हुआ लेकिन अब यह त्यौहार और विवाह पर किया जाता था।

हरियाणा (Haryana) झूमर, फाग नृत्य, डफ घूमर, धमाल, मजीरा, गुग्गा, लूर, रासलीला, सांग, छवि नृत्य, खेरिया।

Important Points

  • फाग नृत्य फाल्गुन के महीने में किसान द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • सांग नृत्य की अवधि 5 घंटे की होती है। सांग या स्वांग का अर्थ प्रच्छन्न या प्रतिरूपित करना है।
  • छठी नृत्य को एक अनुष्ठानिक नृत्य के अवसर पर, लड़के के जन्म पर किया जाता है। महिलाएँ इस नृत्य को लड़के के जन्म के छठे दिन करती हैं।
  • खोरिया नृत्य में फसल, कृषि कार्य इत्यादि के लिए गोल्डन थ्रेड वर्क के साथ पहनते हैं।
  • घूमर नृत्य में नत्यागंनाओं के वृत्ताकार आंदोलन इस नृत्य को अलग पहचान देते हैं।
  • गुग्गा नृत्य संत गुग्गा के भक्तों द्वारा रखा गया। यह नृत्य पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • लूर नृत्य का प्रस्तुतिकरण होली के त्योहार पर किया जाता है।
  • रासलीला नृत्य भगवान कृष्ण को समर्पित है।

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) • डांगी, छत्रक, छम, कयांग माला, राक्षस नृत्य, नामजेन कारालिया, लोसार शोना चुक्सम, छपेली डंडानाच, नाटी, कडथी, बुडाह, थोडा छम।

Important Points

  • थोडा खेल हिमाचल प्रदेश राज्य का मार्शल आर्ट का एक रूप है। धनुष और तीर इस खेल को खेलने के लिए मुख्य हथियार है।
  • कयांग माला नृत्य एक क्रॉस पैटर्न में अपनी बाँहों को बुनकर बनाई गई माला से किया जाता है।
  • राक्षस नृत्य (दानव) को छभां नृत्य के रूप में भी जाना जाता है। नर्तकियों ने राक्षसों को खेलों और फसलों पर हमला करने और उन्हें देवताओं की ताकतों द्वारा पीछा किए जाने का चित्रण करने के लिए मास्क पहनाया जाता है।

झारखण्ड (Jharkhand) • फगुआ, मुडांरी, सरहुल, बाराव, डमकच, घोरा-नाच, परुलिया छऊ, सरायकेला छऊ, सोहराई, मण्डा, पाइका, जिताका, संथाल, हुतां नृत्य, लहसूया, मर्दानी।

Important Points

  • पाइका नृत्य में मार्शल आर्ट की उच्च स्तर की भागीदारी होती है। नर्तक एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में ढाल लिए होते हैं।
  • छऊ नृत्य आदिवासियों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य मुख्य रूप से खुले मैदानों में विशेष रूप से रात के समय किया जाता है।
  • फगुआ नृत्य होली के दौरान किया जाता है।
  • सरहुल नृत्य जनजातियों की रक्षा करने वाले भगवान की स्तुति की जाती है।
  • घोरा नाच पुरुषों द्वारा शादी के दौरान किया जाता है।
  • लहसूया नृत्य आमतौर पर पुरुषों और महिलाओं द्वारा किया जाता है। खासकर जब सूखा पड़ता है। इसके साथ ढोल आदि का प्रयोग होता है।
  • मुडांरी नृत्य मुंडा जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है

कर्नाटक (Karnataka) • यक्षगान, डोलू, कुनिथा, वीरगासे, बिलालता, कृष्ण पारिजात Static G.K. नागमण्डला, जूडू हैली, बैलाटा।

Important Points

  • यक्षगान कर्नाटक का एक लोक रंगमंच रूप है, जोकि संस्कृत रंगमंच या नाटक की कई परंपराओं से संबंधित एक प्राचीन कला का अनुकरण है।
  • डोलू कुनिथा एक रस्मी नृत्य है, जो मुख्य रूप से ‘बीरेश्वर सम्प्रदाय’ के कुरुबा के साथ लोकप्रिय है। कुनिथा ढोल नगाड़ो की थाप और नाच गाने के साथ होती है। नागमण्डला नागों की आत्मा को शांत करने के प्रस्तुत किया जाने वाला रस्म नृत्य है।
  • कृष्णा पारिजात एक धार्मिक नृत्य है।
  • वीरगासे नृत्य दशहरा उत्सव पर किया जाता है। यह श्रावण और कार्तिक के महीनों के दौरान बेहद लोकप्रिय है।

केरल (Kerla) • काकर्सी काली, दप्पू काली, सर्पम कुतल, कवादीयोहम, वेला काली, थम्पी थुल्लल, कडुवा, मार्गमकली कुमति।

Important Points

  • दप्पू नृत्य में ‘वाद्य यंत्र’ दप्पू का प्रयोग किया जाता है। यह मालाबार के मोपलाओं का एक समूह नृत्य है।
  • कवादीयोट्टम नृत्य भगवान सुब्रह्मायम के मंदिर में प्रसाद के रूप में समर्पित है। बेलाकाली नायर समुदाय का एक मार्शल नृत्य है।
  • थियाद्ध नृत्य भद्रकाली मंदिर में की जाने वाली भक्ति है। कोलम थुलल बुरी आत्माओं से होने वाली परेशानी और पीड़ा छुटकारा पाने के लिए होती है।
  • कडुवा नृत्य कोो पुलिकली नृत्य भी कहा जाता है।
  • कुमति नृत्य में नृत्य करते समय चित्रित लकड़ी के मुखौटे पहनते हैं।

लक्षद्वीप (Lakshadweep) कोलकली, लावा, परीचकली।

Important Points

  • लावा नृत्य मुख्य रूप से लक्षद्वीप के पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है। यह शब्द संगीत और लय के अनुसार भावों को दर्शाता है।
  • कोलकली और परिचकली लक्षद्वीप के दो लोकप्रिय लोककला का रूप है।

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) • जवारा, मटकी, सैला, तुतीली नृत्य, मुरिया नृत्य, बारदी नृत्य, अहिरी नृत्य, लेहंगी, फूलपाटी नृत्य।

Important Points

  • मटकी नृत्य ‘मालवा’ का एक सामुदायिक नृत्य है।
  • तुतीली नृत्य मध्य प्रदेश में ‘कमर’ जनजाति का एक लोक नृत्य है।
  • मुरिया नृत्य ‘लिगों पेन’ जनजाति के फालिक देवता और घोटुल समाज के संस्थापक के लिए प्रार्थना करते हैं।
  • बारदी नृत्य को ‘पूर्णिमा के दिन दिपावली” की शुरूआत में प्रस्तुत किया जाता है।
  • अहिरी नृत्य (समुदाय) स्वयं को श्रीकृष्ण का वंशज मानते हैं।
  • जवारा नृत्य विभिन्न क्षेत्रों के लोग धान का जश्न मनाने के लिए प्रयोग करते हैं।

महाराष्ट्र (Maharashtra)लावणी, कोली, डिंडी, कोली, तमाशा, धनगड़ी गाजा, लैजिम,पोवाडा, नकटा, गफा।

Important Points

  • काला नृत्य भगवान कृष्ण की मनोदशा का वर्णन करता है। यह उर्वरता का प्रतीक माना जाता है।
  • कोली नृत्य को कोलिस भी कहा जाता है।
  • लावणी नृत्य को 9 गज की साड़ी पहनने वाली महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • पोवाडा नृत्य में छत्रपति शिवाजी के जीवन को दर्शाया गया है।
  • लैजिम नृत्य को गणेश उत्सव के दौरान मनाया जाता है। इसे लेजियम भी कहते हैं।

मणिपुर (Manipur) लाई हरोबा, पुंग चोलोम, खंबा धाबी, नूपा नृत्य, रासलीला, जागोई, थागंटम, डोल चोलम, मार्क नृत्य।

Important Points

  • पुंग चोलम ध्वनि और आंदोलन के संयोजन के साथ कला का रूप है। इसमें नर्तक खुद मृदंगा (पुंग) बजाते हैं।
  • माई नृत्य, लाई हरोवा उत्सव का एक रूप है जिसमें मुख्य कलाकार माइबिस होते हैं, जो विशेष रूप से चयनित पुरुषों और महिलाओं, देवताओं द्वारा उन्हें सम्मानित करने के लिए चुना जाता है।
  • खंबा थाबी नृत्य एक युगल प्रदर्शन है जिसमें खंबा के खुमान वंश के एक गरीब और बहादुर बालक की कहानी को प्रदर्शित किया जाता है।
  • नूपा नृत्य को सिम्बल नृत्य के रूप में भी जाना जाता है।
  • रासलीला नृत्य में भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम को दर्शाया जाता है।

मेघालय (Meghalaya) • डारेगेटा, लाहो, नोगक्रेम, बेहदीनखलम, बागंला, डार्सेगाटा, शादसुक।

Important Points

  • लाहो नृत्य में महिला और पुरुष दोनों भाग लेते हैं। महिलाएँ आमतौर पर रंगीन परिधान के साथ सोने और चांदी के आभूषण पहनती हैं।
  • नॉग क्रेम नृत्य खासी जनजाति द्वारा किया जाता है। यह पाँच दिनों तक चलने वाले नोगंक्रेम नृत्य उत्सव का एक भाग है।
  • वागंला नृत्य को फेस्टिवल ऑफ हंड्रेड ड्रम्स के रूप में भी जाना जाता है। यह सूर्य भगवान के सम्मान में मनाया जाता है।

मिजोरम (Mizoram)चैराव नृत्य, खुआलम नृत्य, छेह लाम नृत्य, सांवलिया नृत्य, चैलम, तेलगंम नृत्य, पार लैम, सरलामकाई नृत्य।

Important Points

  • चैराव नृत्य को ‘बांस नृत्य’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसको प्रदर्शित करने के दौरान बांस का प्रयोग किया जाता है।
  • खुआलम नृत्य का प्रदर्शन मेहमानों के नृत्य के रूप में भी किया जाता है। यह खुगचवी नामक समारोह के समय किया जाता है।
  • छेह लाम नृत्य में बांस की ट्यूब और ड्रम बीटस का प्रयोग होता है।
  • सावलिया नृत्य युद्ध जीतने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • चैलम नृत्य चापचर कुट के त्योहार के दौरान मनाया जाता है।
  • पार लैम नृत्य में, महिला डांसर अपने बालों में बहु-रंगीन कपड़े और एक फूल पहनती है।

नागालैंड (Nagaland) • मोदस, रेग्मा, मयूर नाच, मोयनाशो, जेलियांग चगाई, कूकी नृत्य, लेशालुत, खम्बा लिम, सदल केकई, तितली नृत्य, अग्रिशुकुला, अलयुतु, चांग लो, कुलुत्सेन।

Important Points

  • जेलियांग नृत्य, जेलियांग नागा जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • चांग लो, चाग जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • मोयनाशो फोम जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • कुको नृत्य चाकसँग नागाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

ओडिशा (Odhisha) • घुमुरा, पाला, डस्कथिया, दल्खाई, छाऊ नाच, बाघा नाच, कर्म नाच, कीसाबादी, ढप नृत्य, गोटी पुआ, डंडारी, मुणरी।

Important Points

  • घुमुरा नृत्य पहले कालाहांडी राज्य में एक दरबारी नृत्य के रूप में मनाया जाता है।
  • पाला नृत्य सत्यपीर पंथ से जुड़ा है। ओडिशा के लोग पाला के विषय में दृढ़ता से विश्वास करते हैं।
  • डस्कथिया नृत्य गायक के नाटकीय अभिनय के इर्द-गिर्द घूमता है।
  • दल्खाई नृत्य में ऑकेस्ट्रा का प्रयोग होता है। बाघा नाच चैत्र महीने में पुरुषों द्वारा किया जाता है। जो बाघ की तरह दिखने और पूँछ को जोड़ने के लिए अपने नंगे शरीर को पीले और काले धारियों से रंगते हैं।

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) • रासलीला, नौटंकी, झूला, कजरी, जद्दा, चाचरी, जैता, झोरा, चापेली, ख्याल, मयूर, धोबिया, चरकुला, जोगिनी, कर्मा, पासी, नटवरी, राई, द्वीप, पाई डण्डा, दीवारी, चौलर, ढरकारी।

उत्तराखंड (Uttrakhand) • गढ़वाली, कुमायुं, कजरी झोरा, रासलीला, चपादी, चैपल, सरो, हारुल, तांदी, लांगवीर, चोंकला, छोपति, घुघुती, भैला पाडंव, रणभूत छोलिया, भगनोल, भोटिया।

पश्चिम बंगाल (West Bengal) • काढी, गम्भीरा, थाली, जात्रा बाउल, मरसिया, कीर्तन, छऊ,संथाल, लाठी।

जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) • हिकात, मंदजाल, कूद दाण्डी नाच, दमाली, हफीजा, रऊफ डुम्हाल।

लद्दाख (Ladakh) शोडोल, शोन, ड्रगपा-रचेस, जबरो, लाजा, कोशन, तुखत नमो,सुरही, याक, बैगस्टोनचैस।

दमन और दीव (Daman & Diu) • मंण्डो, वर्दी गाओ, वीरा

पुडुचेरी (Puducheri) • गण्डी (Garadi)।

पंजाब (Punjab) • भांगडा, गिद्धा, धूमल, डफ, धमान, नकूला, लुड्डी, जूली. धनकरा, सम्मी, किकली जागो, तीजन, बागा।

Important Points

  • भांगडा नृत्य बैसाखी के दौरान प्रस्तुत किया जाता है।
  • झूमर नृत्य पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह धीमा तथा लयबद्ध नृत्य होता है।
  • जूली एक धाम्रिक नृत्य है, जो पीर और गायन से जुड़ा हुआ है।
  • धनकरा नृत्य को गतका नृत्य भी कहा जाता है।
  • गिद्धा नृत्य को रिंग नृत्य की प्राचीन शैली से लिया गया है।
  • किकली नृत्य को जोड़े में प्रस्तुत किया जाता है।

राजस्थान (Rajasthan) • पनिहारी, फूंदी, कालबेलिया, गणगौर, झुमा, सूईसिनी, घूमर, तेरहताली, चरी, जिन्दाद, कठपुतली, भवाई।

Important Points

  • तेरहताली नृत्य महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • चरी नृत्य से महिलायें रोजमर्रा की जिंदगी की खुशियों प्रकट करती हैं।
  • कालबेलिया, राजस्थान का सांप-छुछंदर समुदाय है जो काबेलिया नृत्य करता है।

सिक्किम (Sikkim) • चूफाट, सिकमारी, स्नो लायन, याक प्लाम, डेनजोंग, ताशी यागकू, नेनहा।

तमिलनाडु (Tamilnadu) कुम्मी, कौलट्टम, कावडी आट्टम, काई सिलबट्टम, मायिल अटाम, ओयिलट्टम, देवरतम, पोइक्कल कुदिराई अट्टम।

तेलगांना (Telangana) पेरीनी, शिवंतदवम, गुसादी, ढिम्सा, लम्बाडी, डप्पू, बोनालु, मापुरी।

त्रिपुरा (Tripura) • होजागिरी, गौरिया, लेबांग, ममितामोसक सुल्मानी, बिज्डू, हिक-हक, संगराई, गजानन वेलकम, डेलो, गोलामुचाओ, बोमानी, मायमाती।

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