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||kullu dussehra of hp In Hindi||kullu dussehra History In Hindi||
- सप्ताह भर चलने वाले इस मेले का प्रारंभ कृष्ण पक्ष के दसवें दिन अर्थात् दशहरे के दिन होता है।
- मेले के पहले दिन भगवान रघुनाथ की मूर्ति को रथ पर बिठाकर ढालपुर मैदान में लाया जाता है।
- यह मेला सातवें दिन बलि, अनुष्ठान व लंका दहन से समाप्त होता है।
- मेले के अंत में रघुनाथ जी की मूर्ति को वापस सुल्तानपुर के मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है।
- यह मूर्ति 1651 ई. में दामोदर दास द्वारा कुल्लू में लाई गई थी जिसकी स्थापना कुल्लू के राजा जगत सिंह ने की थी।
- वैरागी कृष्णदास (वैष्णव संप्रदाय से संबंधित) ने वर्ष में एक बार दशहरे के दिनों में ग्राम देवताओं को कुल्लू में उपस्थित करवाकर रघुनाथ जी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करवाने की प्रथा चलवाई।
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