Mahatma Gandhi's Visits to Shimla In Hindi

Mahatma Gandhi’s Visits to Shimla In Hindi

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Mahatma Gandhi’s Visits to Shimla In Hindi

  •  महात्मा गांधी का शिमला आगमन : 11 मई 1921 को गांधी जी शिमला पधारे। उनके साथ मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली, लाला लाजपतराय, मदन मोहन मालवीय, लाला दुनी चन्द अम्बालवी आदि नेता भी शिमला आये।
  • 13 मई को गांधी जी वायसराय लार्ड रीडिंग से मिले।
  • दूसरे दिन गांधी जी ने लोअर बाजार शिमला के आर्य समाज के हाल में महिलाओं को सम्बोधित किया।
  • 15 मई को उन्होंने पन्द्रह हजार से अधिक के एक जन समूह को ईद-गाह मैदान में सम्बोधित किया।
  • शिमला के आस-पास के पहाड़ी क्षेत्रों से भी लोग गांधी जी के दर्शन के लिये आये थे। गांधी जी के शिमला आगमन ने इस पर्वतीय क्षेत्र के लोगों का ध्यान राष्ट्रीय विचारधारा की ओर आकृष्ट किया।
  • लगभग 1922 के पश्चात् जुब्बल रियासत के गांव धार के इंजीनियर भागमल सौहटा ने राष्ट्रीय आन्दोलन में प्रवेश किया। श्री सौहटा ने शिमला में माल रोड पर स्थित अपने इम्पीरियल होटल के निवास से स्वाधीनता आन्दोलन का कार्य आरम्भ किया।
  • सन् 1922, खंड-2 1923 तक शिमला में कांग्रेस आंदोलन ने जोर पकड़ा। इसमें पंडित गैंडामल, मौलाना मुहम्मद नौनी, अब्दुल  गनी, गुलाम मुहम्मद नकवी, ठाकुर भागौरथ लाल, हकीम त्रिलोकीनाथ भाग लेने वाले थे। कुछ समय पूर्व अमरीका से आये एक व्यक्ति सेमुअल इवांस स्टोक्स (सत्यानंद स्टोक्स) ने शिमला पहाड़ियों के ऊपरी भाग कोटगढ़ में रहना आरम्भ किया और गांधी जी के विचार से प्रभावित होकर बेगार की प्रथा के विरुद्ध सारी पहाड़ी रियासतों में आन्दोलन चलाया।
  • इसके लिये जन-जागृति के उद्देश्य से उन्होंने कई लेख लिखे और सभायें कीं। उन्होंने हिन्दू धर्म अपना लिया और सत्यानन्द स्टोक्स बन गया था। वह असहयोग आन्दोलन में भी भाग लेते रहे जिसके कारण उन्हें बन्दी बना लिया गया था और 24 मार्च 1923 को अन्य लोगों के साथ शिमला में कैथू जेल से मुक्त किया गया था।
  • सत्यानन्द स्टोक्स ने जेल से रिहा होने के पश्चात् पहाड़ी रियासतों में अपना समाज-सुधार और राजनैतिक जागृति का कार्यक्रम जारी रखा।
  • कांगड़ा के बहुत से लोग कांगड़ा से बाहर काम करते रहे। कुछ सरकारी कार्यालयों में और कुछ अन्य व्यवसायों में। बाहर रह कर ये लोग राष्ट्रीय आन्दोलन से प्रभावित होते रहे। जब वे वापिस अपने गांव में आते तो कांग्रेस के कार्य को चलाते और उन के जलसों में भाग लेते।
  • इन्हीं सम्मेलनों में एक सम्मेलन सन् 1927 में सुजानपुर के पास ‘ताल’ में , जिसमें बलोच सिपाहियों ने लोगों को बुरी तरह पीटा। इस मार-पीट में ठाकुर हजारा सिंह, बाबा कांशीराम, गोपाल सिंह और चतुर सिंह भी थे। सिपाहियों ने उनकी गांधी टोपियां भी उन से छीन ली थीं। इसके विरुद्ध बाबा कांशीराम ने शपथ ली कि जब तक भारत स्वतंत्र नहीं होता वह काले कपड़े पहनेंगे।
  • बाबा कांशीराम ने स्वतन्त्रता की भावनाओं से ओत-प्रोत कई कवितायें लिखीं। कांग्रेस के आन्दोलन में बाबा कांशीराम और हजारा सिंह का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। वे और उनके सहयोगी लम्बी कैद की सजा के लिये गुरदासपुर, लाहौर, अटक और मुलतान भेजे गये।
  • इन सख्तियों के कारण कांगड़ा क्षेत्र के आन्दोलन में कुछ शिथिलता आ गई। परन्तु ज्यों ही कांग्रेस ने 1935 के अधिनियम के अन्तर्गत विधान सभाओं के निर्वाचन में भाग लेने का निर्णय लिया तो कांग्रेस की गतिविधियों ने जोर पकड़ा। हुआ, शिमला में कांग्रेस को पुनः संगठित किया

Source :- Wonderland Himachal 

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