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Raja Ghamand Chand

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Raja Ghamand Chand

||Raja Ghamand Chand||Raja Ghamand Chand -HP GK||Raja Ghamand Chand In hindi||

  •  घमण्डचन्द औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् मुगल साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया था। इसी बीच अहमदशाह (अब्दाली) दुर्रानी ने 1748-1788 ई. के मध्य पंजाब पर दस बार आक्रमण किया और मुगलों को कमजोर बना दिया। इस अवसर का लाभ उठाकर राजा घमण्डचन्द ने काँगड़ा और दोआब के क्षेत्र पर अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिया। 
  • काँगड़ा किला अब भी मुगलों के अधीन था, जिसका अन्तिम किलेदार नवाब सैफ अली खान था।
  •  यह पहला ऐसा सिख शासक था जिसने काँगड़ा में अपने पैतृक क्षेत्र पर कब्जा किया था। काँगड़ा के शासक घमण्डचन्द को अहमदशाह अब्दाली ने 1758 ई. में जालन्धर दोआब तथा सतलुज के मध्य के क्षेत्रों का कार्यभार सौंपा था। 
  • इस स्थिति का लाभ उठाते हुए इसने जालन्धर, नूरपुर, गुलेर नन्दी, सुकेत, कुल्लू, चम्बा और के कुछ भागों पर भी अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिया। 
  • इस प्रकार घमण्डचन्द ने अपने क्षेत्र को चम्बा से सिरमौर तक विस्तृत किया। 
  • हालाँकि घमण्डचन्द की इस विस्तारवादी नीति पर सिख मिस्ल प्रमुख जस्सासिंह ने न केवल रोक लगाई, अपितु कर देने के लिए भी बाध्य किया। 
  • 1774 ई. में घमण्डचन्द की मृत्यु हो गई।
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