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||Traditional Dress of himachal pradesh In Hindi||Traditional Dress of hp In Hindi||
👉गद्दी वस्त्र-चोला तथा डोरा गद्दी पहनावे का प्रमुख अंग है। गद्दी पुरुष सूती वस्त्र के ऊपर ऊन से बना एक चोला पहनते हैं। ये चोला आमतौर पर ऊन से बने हुए पटू से बनाया जाता है। यह सफेद या हल्के भूरे रंग का चोला होता है। गद्दी महिलाएँ एक विशेष प्रकार का पहनावा जिसे डोरा कहते हैं, अपने कमर के चारों ओर बाँध के रखती हैं। ये ऊन से बनी लंबी काले रंग की रस्सी होती है जिसे ये गात्री कहते हैं। गद्दी लोग इसे शिवजी की रस्सी कहते हैं। पुरुष लोग 180 से 200 फीट की दो किलो की रस्सी तथा महिलाएँ 1.5 किलो की 120 से 150 फीट की रस्सी का प्रयोग करते हैं।
👉किन्नौरी पोशाक-किन्नौरी पहनावे में चमू का अर्थ ऊन होता है जैसे चमू कुर्ता (ऊनी कमीज), छुबा (कोट) तथा चमू सूथन (ऊनी पायजामा)। स्त्रियों तथा पुरुषों दोनों में ही हिमाचली टोपी जिसे ठेपांग कहते हैं, पहनी जाती हैं। किन्नौरी महिलाएँ चामू कुरती, चामू सूथन, ठेपांग, चोली और गचांग चानली पहनती हैं। यहाँ पुरुष छुबा सुतूका, सुथन, शिऊ, केरा यंगलुक और गोलक आदि पहनते हैं। किन्नर महिलाएँ एक तरह की ऊनी साड़ी पहनती हैं जिसे धुबा घेरू कहते हैं। किन्नौरी पुरुष लंबे-लंबे चोगे पहनते हैं जिसे चमू सूथन कहते हैं। किन्नौरी लोगों के जूते ऊन तथा बकरी के बालों से बने होते हैं। ये लोग ठेपांग या हरी पट्टी बुशहरी टोपी पहनते हैं जिसमें ‘टिकेमा’ का फूल लगाया जाता है।
👉ढाठू-ढाठू शिमला, सिरमौर क्षेत्र में महिलाओं द्वारा सिर पर बाँधने वाला एक वर्गाकार कपड़ा है।
पटू (कम्बल)-यह घर में बुनी शतरंज के डिजाइन की ऊनी चादर है। पटू पर चैक डिजाईन को ‘लुन्गी धारी’ कहा जाता है।
👉लोइया-शिमला सिरमौर में पुरुषों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला ऊनी चोगा जिसे कंधे तथा हाथों से पीठ पर सँभाला जाता है, लोइया कहलाता है। लोइया नाम ‘लियो’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ कम्बल या चद्दर है। हि.प्र. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में लोइया व पहाड़ी टोपी को पहनाया जाता है।
👉अन्य वस्त्र-पुला घास से बने जूते को कहते हैं। किन्नौर में इन्हें जोम्बा और पांगी में पूल कहा जाता है। गुडमा वियांग ऊन से बना रजाई जैसा वस्त्र है। सदरी शिमला क्षेत्र में महिलाओं एवं पुरुषों द्वारा पहने जाने वाली जैकेट है। वर्ष 1944 में भुट्टी बुनकर सहकारी समिति की स्थापना शमशी कुल्लू में की गई।
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