Types of Himachal Pradesh Temple Architecture

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Types of Himachal Pradesh Temple Architecture

                                         हिमाचल प्रदेश मंदिर वास्तुकला के प्रकार

वास्तुकला की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश के मंदिरों को छतों के आकार के आधार पर शिखर, समतल छत, गुंबदाकार, बन्द उत, स्तूपाकार और पैगोडा शैली में बाँटा जा सकता है

  • शिखर शैली-इस शैली के मंदिरों में छत के ऊपर का हिस्सा पर्वत चोटीनुमा होता है। काँगड़ा का मसरूर रॉक कट मंदिर इस शैली से बना है।
  •  समतल शैली-समतल छत शैली में समतल छत होने के साथ-साथ इनकी दीवारों पर काँगड़ा शैली के चित्रों को चित्रित किया गया है। सुजानपुर टिहरा का नर्बदेश्वर मंदिर, नूरपुर का ब्रज स्वामी मंदिर, स्पीति के ताँबों, बौद्ध मठ भी इसी शैली के हैं। समतल शैली में मुख्यतः राम और कृष्ण के मंदिर हैं।
  • गुम्बदाकार शैली-काँगड़ा का ब्रजेश्वरी देवी, ज्वालाजी, चिन्तपूर्णी मंदिर, बिलासपुर का नैनादेवी मंदिर, सिरमौर का बालासुंदरी मंदिर इस शैली से संबंधित हैं। इस प्रकार की शैली से बने मंदिरों पर मुगल और सिक्ख शैली का प्रभाव है।
  •  स्तूपाकार शैली-जुब्बल के हाटकोटी के हाटेश्वरी और शिव मंदिर को इसी शैली में रखा जा सकता है। इस शैली के अधिकतर मंदिर जुब्बल क्षेत्र में हैं। इसे पिरामिड शैली भी कहते हैं।
  • बन्द-छत शैली-यह हिमाचल प्रदेश की सबसे प्राचीन शैली है। भरमौर का लक्षणा देवी मंदिर और छतराड़ी के शक्ति देवी के मंदिरों के नाम इस शैली में लिए जा सकते हैं।
  •  पैगोडा शैली-कुल्लू के हिडिम्बा देवी (मनाली), मण्डी का पराशर मंदिर, खोखण का आदि ब्रह्मा मंदिर, सुगंरा का महेश्वर मंदिर इस शैली से बने हुए हैं। 




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