Arts And Culture of Kinnaur District
||Arts Of Kinnaur District||Culture of kinnaur District||
Arts And Culture of Kinnaur District |
1. विवाह –किन्नौर में जनेटांग व्यवस्थित विवाह है | दमचल शीश, दमटंग शीश, जुजीश प्रेम विवाह है | दरोश, डबडब, हचीश, नेमशा डेपांग जबरन विवाह के प्रकार हैं | ‘हर’ दूसरे की पत्नी को भगाकर किया गया विवाह है |
2. त्योहार –
(क) छतरैल त्योहार – यह त्योहार चारगांव में चैत्र माह में मनाया जाता है | यह त्योहार अपनी अश्लीलता के लिए प्रसिद्ध है |
(ख) दखेरनी त्योहार – दखेरनी त्योहार सावन के महीने में मनाया जाता है |
(ग) उखयांग या फुलैच त्योहार – यह फूलों का त्योहार है जो किन्नौर में सबसे प्रसिद्ध है | यह अगस्त से अक्टूबर के बीच मनाया जाता है | इसके अलावा फागुली, लोसर, जागरो, साजो, खेपा, छांगो शेशुल और इराटांग किन्नौर के प्रसिद्ध त्योहार हैं |
(घ) तोशिम त्योहार – यह त्योहार अविवाहित पुरषों द्वारा मनाया जाता है | इसमें स्थानीय शराब ‘घांती’ का सेवन किया जाता है |
3. भोजन – गेहूँ को रेजत, जोड़, थो और ओजा के नाम से जाना जाता है | जौ को टग, छा, छक, नन के नाम से किन्नौर में जाना जाता था | मक्की को ‘छाहा’ के नाम से जानते हैं | सुतरले त्योहार का व्यंजन है | सनपोले जलेबी जैसा व्यंजन है | काओनी नमकीन बर्फी है | किन्नौर में नाश्ते को खाऊ, दोपहर के भोजन को शिल और रात्री के भोजन को खाऊ कहा जाता है | किन्नौर में ‘छांग’ देशी शराब है जो हांगरांग घाटी में मुख्यत: पी जाती है | ‘घांती’ जौ से बनी स्थानीय शराब है | रिब्बा घाटी अपने अंगूरों के लिए प्रसिद्ध है इसलिए रिब्बा को ‘अंगूरों की घाटी’ भी कहते हैं |
4. पोशाक – ‘छमू’ कुरती परुषों द्वारा पहनी कमीज को कहते हैं | ‘छमू सूथन’ ऊनी पजामा है जो पुरषों द्वारा पहना जाता है | ‘थेपांग’ हिमाचली टोपी का नाम है | महिलाएँ ढोरी, चोली और गचांग पहनती है | ‘छानली’ शौल का नाम है |
5. लवी मेला – बुशहर के राजा केहरी सिंह ने 1683 ई. में रामपुर में लवी मेला शुरू किया | यह एक व्यापारिक मेला है जहाँ से तिब्बत से व्यापार होता था | यह हिमाचल प्रदेश का सबसे पुराना मेला है |