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Gorkha Invasion-lts nature & consequences, Treaty of Segauli

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 Gorkha Invasion-lts nature & consequences, Treaty of Segauli

                गोरखा आक्रमण (उसकी प्रकृति, परिणाम और सुगौली की संधि)

 (i) गोरखा आक्रमण-गोरखा आक्रमण का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र विस्तार था। जीती हुई भूमि गोरखा सैनिकों को इनाम के तौर पर मिलती थी। गोरखा आक्रमण के दौरान अनेक किलों का निर्माण हुआ।

(1) गोरखों को निमंत्रण-नेपाल नरेश रणबहादुर शाह ने हर्कदेव जोशी के बुलावे पर कुमाऊँ में अमर सिंह थापा के नेतृत्व में सेना भेज अल्मोड़ा पर कब्जा किया। 1804 ई. में अमर सिंह थापा ने गढ़वाल पर कब्जा कर लिया। कहलूर के राजा महानचंद ने अमर सिंह थापा को संसारचंद और हिण्डूर के राजा (रामशरण सिंह) के विरुद्ध अपनी मदद के लिए बुलाया। सिरमौर के राजा कर्मप्रकाश ने हिण्डूर एवं अपने भाई कंवर रल सिंह के विरुद्ध अमर सिंह थापा को मदद के लिए बुलाया। अमर सिंह थापा ने रत्नसिंह को मार दिया। अमर सिंह थापा के पत्र रंजौर सिंह ने कर्म प्रकाश को हराकर सिरमौर रियासत पर कब्जा कर लिया। कर्मप्रकाश ने अम्बाला के भूरिया में शरण ली।

(2) पहाड़ी राज्यों पर गोरखों का अधिकार-सिरमौर रियासत पर कब्जे के बाद गोरखों ने अजीमगढ़ में हिण्डूर की सेना को हराया। राजा रामशरण सिंह दक्षिण में कालसी की ओर भाग गया। अमर सिंह थापा ने 1810 ई. में हिण्डूर, पुण्डर, जुब्बल और धामी को अपने अधीन कर लिया। गोरखों ने 1806 ई. में महलमोरियो में संसारचंद को हराया और काँगड़ा किले में छिपने पर मजबूर कर दिया। अमर सिंह थापा ने मण्डी के राजा इश्वरी सेन को संसारचंद की कैद से 12 वर्ष बाद नादौन जेल से मुक्त करवाया। अमर सिंह थापा ने बाघल के अर्की में अपना मुख्यालय स्थापित किया। अर्की का राजा जगत सिंह वनवास चला गया था। मई, 1811 ई. में अमरसिंह थापा ने बुशहर को हराकर ठियोग, बलसन, कोटगढ़, जुब्बल और रामपुर पर अधिकार कर लिया। बुशहर राजा उग्रसिंह की अचानक मृत्यु हो गई। बुशहर का नाबालिग राजा मोहिन्द्र सिंह अपनी माता के साथ अपनी पुरानी राजधानी कामरू में रहने लगे। अमर सिंह थापा ने रामपुर के आसपास के राज्यों और ठकुसइयों को 1812 ई. में अपने अधीन कर लिया। अमर सिंह थापा ने 12000 रुपये वार्षिक कर के बदले बुशहर के नाबालिग राजा को सराहन के आगे का प्रदेश सौंप दिया और स्वयं अर्की लौट आया।

ii) गोरखा-ब्रिटिश युद्ध (1814-15 ई.)

(1) गोरखा-ब्रिटिश संघर्ष के कारण:-

  • अंग्रेजों और नेपाल के बीच सीमा अस्पष्ट और अनिश्चित थी जिससे दोनों शक्तियों में संघर्ष होना अनिवार्य था।
  • गोरखों ने हिण्डर और महाराजा पटियाला के6 गाँवों पर कब्जा कर लिया जिसका ओक्टरलोनी ने विरोध किया।
  • गोरखों ने तिब्बत जानेवाले सभी प्रमुख दरों और रास्तों पर अधिकार कर लिया जिसमें ब्रिटिश-तिब्बती व्यापार (कस्तूरी, बोरेक्स, ऊन) प्रभावित होने लगा। लद्दाख जाने वाले मार्ग पर भी गोरखों ने कब्जा कर लिया जिससे गोरखा-ब्रिटिश युद्ध जरूरी हो गया।
  • गोरखों ने अंग्रेजी संरक्षण वाले बटवाल और श्यरोज पर अधिकार कर लिया जिससे लार्ड हेस्टिंग्ज ने 1813 ई. में गोरखों से निपटने को रणनीति पर कार्य शुरू किया।

(2) गोरखा-ब्रिटिश युद्ध-1 नवम्बर, 1814 ई. को अंग्रेजों ने गोरखों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया जिसमें पहाड़ी राजाओं ने अंग्रेजों का साथ दिया। अंग्रेजों की चार टुकड़ियाँ बनीं-गिलेस्पी, मार्टिनडेल, विलियम फ्रेजर और ओक्टरलोनी ने इन टुकड़ियों का नेतृत्व किया।

  •  गिलेस्पी और बलभद्र थापा-मेजर जनरल रोला गिलेस्पी ने 4400 सैनिकों के साथ देहरादून और कियारदा दून की ओर कूच किया। देहरादून के सेनापति बलभद्र थापा ने देहरादून छोड़ कलिंगा में मोर्चाबंदी की। अंग्रेजों ने कलिंगा का किला जीत लिया। इस अभियान में गिलेस्पी बुरी तरह घायल हुआ।
  •  मार्टिनडेल और रंजौर सिंह-रंजौर सिह ने अंग्रेजों का सामना करने के लिए नाहन छोड़कर जातक किले में मोर्चाबंदी की। अंग्रेजी सेनाएँ 19 दिसम्बर, 1914 ई. को नाहन पहुँची और 25 दिसम्बर को जातक किले में रंजौर सिंह को घेर लिया। रंजौर सिंह ने मार्टिनडेल को यहाँ बुरी तरह पराजित किया।
  •  जेम्स बेली फ्रेजर (जुब्बल, चौपाल रावींनगढ़, रामपुर और कोटगढ़ पर अधिकार-जेम्स बेली फ्रेजर ने 500 सैनिकों के साथ जुब्बल पर आक्रमण किया। अंग्रेज 2 मार्च, 1815 को चौपाल के निकट सराहन पहुँचे। जहाँ जुब्बल रियासत के डांगी वजीर और प्रिमू उनसे आकर मिले। चौपाल किले के 100 गोरखा सैनिकों ने समर्पण कर ब्रिटिश सेना का साथ देना शुरू कर दिया। रावीनगढ़ किले पर रणसूर थापा का कब्जा था। डांगी वजीर और बुशहर के वजीर बद्रीदास और टीकमदास ने रावींनगढ़ किले पर आक्रमण कर दिया। संधि वार्ता के बाद गोरखों ने किला खाली कर दिया और फ्रेजर की सेना ने वहाँ मोर्चा संभाल लिया। रामपुर कोटगढ़ क्षेत्र में गोरखा सेना का नेतृत्व कीर्ति राणा कर रहा था। बुशहर की सेना का नेतृत्व बद्रीदास और टीकमदास कर रहे थे। कुल्लू की सेनाएँ भी 1815 ई. में उनसे आ मिलीं। कीर्ति राणा हाटू किले में घिर गया। उसने आत्मसमर्पण कर अपनी जान बचाई।
  • मेजर जनरल डेविड ओक्टरलोनी-मेजर जनरल डेविड ओक्टरलोनी ने रोपड़ के रास्ते 5 नवम्बर, 1814 ई. को नालागढ़ पर कब्जा किया। इसके बाद तारागढ़ किले पर कब्जा किया गया। अमरसिंह थापा ने रामगढ़ किले के आसपास अंग्रेजों से मोर्चा लेने की ठानी। हिण्डूर (नालागढ़) के राजा रामशरण सिंह और कहलूर के राजा ने अंग्रेजों का साथ देने का निर्णय लिया। 16 जनवरी, 1815 ई. को रामगढ़ किले पर आक्रमण किया गया जिससे अमर सिंह थापा को मलौण किले में जाना पड़ा। अंग्रेजों ने रामगढ़ किले पर कब्जा कर लिया। मलौण किले में बहादुर भक्ति थापा की मृत्यु और गोरखों की कुमाऊँ पराजय ने अमरसिंह थापा को संधि करने पर विवश कर दिया। अपने और अपने पुत्र रंजौर के सम्मानजनक समर्पण और अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति सहित नेपाल जाना अमरसिंह थापा ने स्वीकार कर लिया।

(3) गोरखा-ब्रिटिश युद्ध का परिणाम-

  • काली नदी से सतलुज तक का सारा गोरखा प्रदेश अंग्रेजों के अधिकार में आ गया।
  •  अंग्रेजों की स्थिति सुदृढ़ हुई।
  • अंग्रेजों और नेपाल के बीच की सीमाएँ निश्चित हो गईं।
  • गोरखा प्रभुत्व का शिमला पहाड़ी रियासतों से अंत तथा अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार शुरू हुआ। 
  •  गोरखा-ब्रिटिश युद्ध के बाद सुगौली की संधि हुई।

 (ii) सुंगौली की संधि (1815 ई.)-सुगौली की संधि (28 नवंबर, 1815 ई.) द्वारा गोरखा-ब्रिटिश युद्ध की समाप्ति हुई तथा गोरखों ने वापिस नेपाल जाना स्वीकार कर लिया। इस संधि द्वारा दोनों राज्यों की सीमाएँ निश्चित हो गई। नेपाल के सिक्किम राज्य के समस्त अधिकार वापस ले लिए गए। अंग्रेजों को काली नदी से सतलुज के बीच के गढ़वाल, कुमाऊँ, शिमला पहाड़ी रियासत एवं तराई के अधिकांश भाग प्राप्त हुए। नेपाल की राजधानी काठमाडू में एक गोरखा-ब्रिटिश युद्ध के बाद सुगौली की संधि हुई।अंग्रेज रेजीडेंट रखा गया। गोरखों ने 1816 ई. में सुगौली की संधि की शर्तों को स्वीकार कर लिया।

 Question :- कहलूर के राजा महानचंद द्वारा गोरखों को काँगड़ा पर आक्रमण करने के लिए दिए गए निमंत्रण के फलस्वरूप किस प्रकार शिमला और पंजाब की पहाड़ी रियासतों के इतिहास की पूरी धारा ही बदल गई??

HINT.

  • संसारचंद के प्रभुत्व का अंत।
  •  गोरखों का पहाड़ी रियासतों पर कब्जा।
  •  गोरखा प्रभाव समाप्ति के लिए संसारचंद द्वारा सिखों को निमंत्रण देना जिसमें पंजाबी पहाड़ी रियासतों पर सिखों का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
  •  शिमला पहाड़ी रियासतों को लेकर अँग्रेज-गोरखा युद्ध हुआ और अंग्रेजी साम्राज्य विस्तार का मार्ग शिमला एवं पंजाब की पहाड़ी रियासतों में प्रशस्त हुआ।
  •  अंग्रेजों को गोरखों से अनेक किले और शिमला, मसूरी, कसौली जैसे शहर विकसित करने में मदद मिली।




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