History Of Chamba District
History Of chamba District In hindi ||History of chamba district in english
History Of Chamba District |
History Of Chamba District In Hindi
History of Chamba District – चम्बा की पहाड़ियों में मद्र-साल्व, यौधेय, ओदुम्बर और किरातों ने अपने राज्य स्थापित किए | इंडो-ग्रीक और कुषाणों के अधीन भी चम्बा रहा था |
1. चम्बा रियासत की स्थापना – चम्बा रियासत की स्थापना 550 ई. में अयोध्या से आए सूर्यवंशी राजा मारू ने की थी | मारू ने भरमौर (ब्रह्मपुर) को अपनी राजधानी बनाया | आदित्यवर्मन (620 ई.) ने सर्वप्रथम वर्मन उपाधि धारण की |
2. मेरु वर्मन (680 ई.) –मेरु वर्मन भरमौरका सबसे शक्तिशाली राजा हुआ | मेरु वर्मन ने वर्तमान चम्बा शहर तक अपने राज्य का विस्तार किया था | उसने कुल्लू के राजा दत्तेश्वर पाल को हराया था | मेरु वर्मन ने भरमौर में मणिमहेश मंदिर, लक्षणा देवी मंदिर, गणेश मंदिर, नरसिंह मंदिर और छत्तराड़ी में शक्तिदेवी के मंदिर का निर्माण करवाया | गुग्गा शिल्पीमेरु वर्मन का प्रसिद्ध शिल्पी था |
3. लक्ष्मी वर्मन (800 ई.) – लक्ष्मी वर्मन के कार्यकाल में महामारी से ज्यादातर लोग मर गए | तिब्बतियों (किरात) ने चम्बा रियासत के अधिकतर क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया | लक्ष्मी वर्मन की मृत्यु के बाद कुल्लू रियासत बुशहर के राजा की सहायता से चम्बा से स्वतंत्र हुआ |
4. मुसान वर्मन (820 ई.) – लक्ष्मी वर्मन की मृत्यु के बाद रानी ने राज्य से भाग कर एक गुफा में पुत्र को जन्म दिया | पुत्र को गुफा में छोड़कर रानी आगे बढ़ गई | परंतु वजीर और पुरोहित रानी की सच्चाई जानने के बाद जब गुफा में लौटे तो बहुत सारे चूहों को बच्चे की रक्षा करते हुआ पाया | यहीं से राजा का नाम ‘मूसान वर्मन’ रखा गया | रानी और मूसान वर्मन सुकेत के राजा के पास रहे | सुकेत के राजा ने अपनी बेटी का विवाह मुसान वर्मन से कर दी और उसे पंगाणा की जागीर दहेज में दे दी | मूसान वर्मन ने सुकेत की सेना के साथ ब्रह्मपुर पर पुन: अधिकार कर लिया | मूसान वर्मन ने अपने शासनकाल में चूहों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया था |
5. साहिल वर्मन (920 ई.) – साहिल वर्मन (920 ई.) ने चम्बा शहर की स्थापना की | राजा साहिल वर्मन के दस पुत्र एवं एक पुत्री थी जिसका नाम चम्पा वती था | उसने चम्बा शहर का नाम अपनी पुत्री चम्पा वती के नाम पर रखा | वह राजधानी ब्रह्मपुर से चम्बा ले गए | साहिल वर्मन की पत्नी रानी नैना देवी ने शहर में पानी की व्यवस्था के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया तब से रानी नैना देवी की याद में यहाँ प्रतिवर्ष सूही मेला मनाया जाता है | यह मेला महिलाओं और बच्चों के लिए प्रसिद्ध है | राजा साहिल वर्मन ने लक्ष्मी नारायण, चन्द्रशेखर (साहू) चन्द्रगुप्त और कामेश्वर मंदिर का निर्माण ही करवाया |
6. युगांकर वर्मन (940 ई.) –युगांकर वर्मन (940 ई.) की पत्नी त्रिभुवन रेखा देवी ने भरमौर में नरसिंह मंदिर का निर्माण करवाया | युगांकर वर्मन ने चम्बा में गौरी शंकर मंदिर का निर्माण करवाया |
7. सलवाहन वर्मन (1040 ई.) – राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर के शासक अनन्तदेव ने भरमौर पर सलवाहन वर्मन के समय में आक्रमण किया था |
8. जसाटा वर्मन (1105 ई.) – जसाटा वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला के विरुद्ध अपने रिश्तेदार हर्ष और उसके पोतें भिक्षचाचरा का समर्थन किया था | जसाटा वर्मन के समय का शिलालेख चुराह के लौहटिकरी में मिला है |
9. उदय वर्मन (1120 ई.) – उदय वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला से अपनी दो पुत्रियों देवलेखा और तारालेखा का विवाह किया जो सुशाला की 1128 ई. में मृत्यु के बाद सती हो गई |
10. ललित वर्मन (1143 ई.)
11. विजय वर्मन(1175 ई.) –विजय वर्मन ने मुम्मद गौरी के 1191 ई. और 1192 ई. के आक्रमणों का फायदा उठाकर कश्मीर और लद्दाख के बहुत से क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था |
12. गणेश वर्मन (1512 ई.) –गणेश वर्मन ने चम्बा राज परिवार में सर्वप्रथम ‘सिंह’ उपाधि का प्रयोग किया |
13. प्रताप सिंह वर्मन (1559 ई.) –1559 ई. में गणेश वर्मन की मृत्यु के बाद प्रताप सिंह वर्मन चम्बा का राजा बना | वे अकबर का समकालीन था | चम्बा से रिहलू क्षेत्र टोडरमल द्वारा मुगलों को दिया गया | प्रताप सिंह वर्मन ने काँगड़ा के राजा चंद्रपाल को हराकर गुलेर को चम्बा रियासत में मिला लिया था |
14. बलभद्र (1589 ई.) एवं जनार्धन – बलभद्र बहुत दयालु और दानवीर था | लोग उसे ‘बाली-कर्ण’ कहते थे | उसका पुत्र जनार्धन उन्हें गद्दी से हटाकर स्वयं गद्दी पर बैठा | जनार्धन के समय नूरपुर का राजा सूरजमल मुगलों से बचकर उसकी रियासत में छुपा था | सूरजमल के भाई जगत सिंहको मुगलों द्वारा काँगड़ा किले का रक्षक बनाया गया जो सूरजमल के बाद नूरपुर का राजा बना | जहाँगीर के 1622 ई. में काँगड़ा भ्रमण के दौरान चम्बा का राजा जनार्धन और उसका भाई जहाँगीर से मिलने गए | चम्बा के राजा जनार्धन और जगतसिंह के बीच ध्लोग में युद्ध हुआ जिसमें चम्बा की सेना की हार हुई | भिस्म्बर, जनार्धन का भाई युद्ध में मारा गया | जनार्धन को भी 1623 ई. में जगत सिंह ने धोखे से मरवा दिया | बलभद्र को चम्बा का पुन: राजा बनाया गया | परंतु चम्बा 20 वर्षों तक जगतसिंह के कब्जे में रहा |
15. पृथ्वी सिंह (1641 ई.) – जगत सिंह ने शाहजाहं के विरुद्ध 1641 ई. में विद्रोह कर दिया | इस मौके का फायदा उठाते हुए पृथ्वी सिंह ने मण्डी और सुकेत की मदद से रोहतांग दर्रे, पांगी, चुराह को पार कर चम्बा पहुंचा | गुलेर के राजा मानसिंह जो जगत सिंह का शत्रु था उसने भी पृथ्वी सिंह की मदद की | पृथ्वी सिंह ने बसौली के राजा संग्राम पाल को भलेई तहसील देकर उससे गठबंधन किया | पृथ्वी सिंह ने अपना राज्य पाने के बाद चुराह और पांगी में राज अधिकारियों के लिए कोठी बनवाई | पृथ्वी सिंह और संग्राम पाल के बीच भलेई तहसील को लेकर विवाद हुआ जिसे मुगलों ने सुलझाया | भलेई को 1648 ई. में चम्बा को दे दिया गया | पृथ्वी सिंह मुगल बादशाह शाहजहाँ का समकालीन था | उसने शाहजहाँ के शासनकाल में 9 बार दिल्ली की यात्रा की और ‘रघुबीर’ की प्रतिमा शाहजहाँ द्वारा भेट में प्राप्त की | चम्बा में खज्जीनाग (खजियार), हिडिम्बा मंदिर (मैहला), और सीताराम मंदिर (चम्बा) का निर्माण पृथ्वी सिंह के नर्स (दाई) बाटलू ने करवाया जिसने पृथ्वी सिंह के प्राणों की रक्षा की थी |
16. चतर सिंह (1664 ई.) –चतर सिंह ने बसौली पर आक्रमण कर भलेईपर कब्जा किया था | चतर सिंह औरंगजेब का समकालीन था | उसने 1678 ई. में औरंगजेब का सभी हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने के आदेश मानने से इन्कार कर दिया था |
17. उदय सिंह (1690 ई.) – चतर सिंह के पुत्र राजा उदय सिंह ने अपने चाचा वजीर जय सिंह की मृत्यु के बाद एक नाई को उसकी पुत्री के प्रेम में पड़कर चम्बा का वजीर नियुक्त कर दिया |
18. उम्मेद सिंह (1748 ई.) – उम्मेद सिंह के शासनकाल में चम्बा राज्य मण्डी की सीमा तक फ़ैल गया | उम्मेद सिंह का पुत्र राज सिंह राजनगर में पैदा हुआ | उम्मेद सिंह ने राजनगर में ‘नाडा महल’ बनवाया | रंगमहल (चम्बा) की नींव भी उम्मेद सिंह ने रखी थी | उसने अपनी मृत्यु के बाद रानी को सती न होने का आदेश छोड़ रखा था | उम्मेद सिंह की 1764 ई. में मृत्यु हो गई थी |
19. राज सिंह (1764 ई.) – राज सिंह अपने पिता की मृत्यु के बाद 9 वर्ष की आयु में राजा बना | घमण्ड चंद ने पथियार को चम्बा से छीन लिया | परंतु रानी ने जम्मू के रणजीत सिंह की मदद से इसे पुन: प्राप्त कर लिया | चम्बा के राजा राज सिंह और काँगड़ा के राजा संसारचंद के बीच रिहलू क्षेत्र पर कब्जे के लिए युद्ध हुआ | राजा राज सिंह की शाहपुर के पास 1794 ई.में युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई | निक्का, रांझा, छज्जू और हरकू राजसिंह के दरबार के निपुण कलाकार थे |
20. जीत सिंह (1794 ई ) – जीत सिंह के समय चम्बा राज्य ने नाथू वजीर को संसारचंद के खिलाफ युद्ध में सैनिकों के साथ भेजा | नाथू वजीर गोरखा अमर सिंह थापा, बिलासपुर के महानचंद आदि के अधीन युद्ध लड़ने गया था |
21. चरहट सिंह (1808 ई.) – चरहट सिंह 6 वर्ष की आयु में राजा बना | नाथू वजीर राजकाज देखता था | रानी शारदा (चरहट सिंह की माँ) ने 1825 ई. में राधा कृष्ण मंदिर की स्थापना की पद्दर के राज अधिकारी रतून ने 1820-25 ई. में जास्कर पर आक्रमण कर उसे चम्बा का भाग बनाया था | 1838 ई. में नाथू वजीर की मृत्यु के बाद ‘वजीर भागा’ चम्बा का वजीर नियुक्त किया गया | 1839 ई. में विगने और जनरल कनिंघम ने चम्बा की यात्रा की | चरहट सिंह की 42 वर्ष की आयु में 1844 ई. में मृत्यु हो गई |
22. श्री सिंह (1844 ई.) – श्री सिंह 5 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा | लक्कड़शाह ब्राह्मण श्री सिंह के समय प्रशासन पर नियंत्रण रखे हुए था जिसकी बैलज में हत्या कर दी गई | अंग्रेजों ने 1846 ई. को जम्मू के राजा गुलाब सिंहको चम्बा दे दिया परंतु वजीर भागा के प्रयासों से सर हैनरीलारेंस ने चम्बा के वर्तमान स्थिति रखने दी | भद्रवाह को हमेशा के लिए चम्बा से लेकर जम्मू को दे दिया गया | श्री सिंह के समय चम्बा 1846 ई. में अंग्रेजों के अधीन आ गया | श्री सिंह को 6 अप्रैल, 1848 को सनद प्रदान की गई |
श्रीं सिंह 1857 ई. के विद्रोह के समय अंग्रेजों के प्रति समर्पित रहा | उसने मियाँ अवतार सिंह के अधीन डलहौजी में अंग्रेजों की सहायता के लिए सेना भेजी | वजीर भागा 1854 ई. में सेवानिवृत हो गया और उसका स्थान वजीर बिल्लू ने ले लिया | मेजर ब्लेयर रीड 1863 ई. में चम्बा के सुपरीटेंडेंट बने | 1863 ई. में डाकघर खोला गया | चम्बा के वनों को अंग्रेजों को 99 वर्ष की लीज पर दे दिया गया | श्री सिंह की 1870 ई. में मृत्यु हो गई |
23. गोपाल सिंह (1870 ई.) – श्री सिंह का भाई गोपाल सिंह गद्दी पर बैठा | उसने शहर की सुन्दरता बढ़ाने के लिए कई काम किए | उसके कार्यकाल में 1871 ई. में लार्ड मायो चम्बा आये | गोपाल सिंह को गद्दी से हटा कर 1873 ई. में उसके बड़े बेटे शाम सिंह को राजा बनाया गया |
24. शाम सिंह (1873 ई.) – शाम सिंह को 7 वर्ष की आयु में जनरल रेनल टेलर द्वारा राजा बनाया गया और मियाँ अवतार सिंह को वजीर बनाया गया | सर हेनरी डेविस ने 1874 ई. में चम्बा की यात्रा की | शाम सिंह ने 1875 ई. और 1877 ई. के दिल्ली दरबार में भाग लिया | वर्ष 1878 ई. में जान हैरी को शाम सिंह का शिक्षक नियुक्त किया गया | चम्बा के महल में दरबार हॉल को C.H.T.मार्शल के नाम पर जोड़ा गया | वर्ष 1880 ई.में चम्बा में हाप्स की खेती शुरू हुई | सर चार्ल्स एटिकस्न ने 1883 ई. में चम्बा की यात्रा की |
1875 ई. में कर्नल रीड के अस्पताल को तोड़कर 1891 ई.में 40 बिस्तरों का शाम सिंह अस्पताल बनाया गया | रावी नदी पर शीतला पुल जो 1894 ई. कीबाढ़ टूट गया था | इसकी जगह पर लोहे का सस्पेंशन पुल बनाया गया | 1895 ई. में भटियात में विद्रोह हुआ | शाम सिंह के छोटे भाई मियाँ भूरी सिंह को 1898 ई. में वजीर बनाया गया | वर्ष 1900 ई. में लॉर्ड कर्जनऔर उनकी पत्नी चम्बा की यात्रा पर आए | 1902 ई. में शाम सिंह बीमार पड़ गए | वर्ष 1904 ई. में भूरी सिंह को चम्बा का राजा बनाया गया |
25. राजा भूरी सिंह (1904 ई.) – राजा भूरी सिंह को 1 जनवरी, 1906 ई. को नाईटहुड की उपाधि प्रदान की गई | भूरी सिंह संग्रहालय की स्थापना 1908 ई. में की गई | राजा भूरी सिंह ने प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) में अंग्रेजों की सहायता की | साल नदी पर 1910 ई. में एक बिजलीघर कर निर्माण किया गया जिससे चम्बा शहर को बिजली प्रदान की गई | राजा भूरी सिंह की 1919 ई. में मृत्यु हो गई | राजा भूरी सिंह की मृत्यु के बाद टिक्काराम सिंह (1919-1935) चम्बा का राजा बना |
26. राजा लक्ष्मण सिंह – राजा लक्ष्मण सिंह को 1935 ई. में चम्बा का अंतिम राजा बनाया गया | चम्बा रियासत 15 अप्रैल, 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बन गई |
History Of Chamba District In English
History of Chamba District – In the Chamba hills, Madra-Salva, Yaudheya, Odumbar and Kiratas established their kingdoms. Chamba was also under Indo-Greek and Kushans.
1. Establishment of Chamba princely state – Chamba princely state was founded in 550 AD by Suryavanshi King Maru who came from Ayodhya. Maru made Bharmour (Brahmapur) his capital. Adityavarman (620 AD) first assumed the title of Varman.
2. Meru Varman (680 AD) – Meru Varman became the most powerful king of Bharmour. Meru Varman extended his kingdom up to the present Chamba city. He defeated King Datteshwar Pal of Kullu. Meru Varman constructed the Manimahesh Temple in Bharmour, the Lakshana Devi Temple, the Ganesh Temple, the Narasimha Temple and the Shaktidevi Temple in Chhattaradi. Gugga was the famous artisan of Shilpimeru Varman.
3. Lakshmi Varman (800 AD) – Most of the people died due to the epidemic during the tenure of Lakshmi Varman. Tibetans (Kirat) occupied most of the areas of the Chamba princely state. After the death of Lakshmi Varman, the princely state of Kullu became independent from Chamba with the help of the king of Bushehr.
4. Musan Varman (820 AD) – After the death of Lakshmi Varman, the queen fled the kingdom and gave birth to a son in a cave. The queen moved forward leaving her son in the cave. But after knowing the truth of the Wazir and the priest, when he returned to the cave, he found many mice protecting the child. From here the king was named ‘Musan Varman’. Rani and Moosan Varman stayed with the king of Suket.The king of Suket married his daughter to Musan Varman and gave her the manor of Pangana in dowry. Masan Varman, along with Suket’s army, regained Brahmapur. Mousan Varman had banned the killing of rats during his reign.
5. Sahil Varman (920 AD) – Sahil Varman (920 AD) founded the city of Chamba. Raja Sahil Varman had ten sons and a daughter named Champa Vati. He named the city of Chamba after his daughter Champa Vati. He took the capital from Brahmapur to Chamba. Rani Naina Devi, wife of Sahil Varman sacrificed her life to arrange water in the city, since then Suhi fair is celebrated here every year in memory of Rani Naina Devi.This fair is famous for women and children. Raja Sahil Varman got Lakshmi Narayan, Chandrashekhar (Sahu) Chandragupta and Kameshwar temple constructed.
6. Yugankar Varman (940 AD) – Tribhuvan Rekha Devi, wife of Yugankar Varman (940 AD), built the Narasimha temple at Bharmour. Yugankar Varman built the Gauri Shankar Temple at Chamba.
7. Salvahana Varman (1040 AD) – According to Rajatarangini, Anantdev, the ruler of Kashmir, attacked Bharmour during the time of Salwahana Varman.
8. Jasata Varman (1105 AD) – Jasata Varman supported his relative Harsha and his ships Bhikshchara against King Sushala of Kashmir. The inscription of the time of Jasata Varman is found in the ironicery of Churah.
9. Udaya Varman (1120 AD) – Udaya Varman married his two daughters Devlekha and Taralekha from Raja Sushala of Kashmir who became Sati after the death of Sushala in 1128 AD.
10. Lalit Varman (1143 AD)
11. Vijay Varman (1175 AD) – Vijay Varman took advantage of the invasions of Muhammad Ghori in 1191 AD and 1192 AD and occupied many areas of Kashmir and Ladakh.
12. Ganesh Varman (1512 AD) – Ganesh Varman first used the title ‘Singh’ in the Chamba Raj family.
13. Pratap Singh Varman (1559 AD) – After the death of Ganesh Varman in 1559 AD, Pratap Singh Varman became the king of Chamba. He was a contemporary of Akbar. The Rihalu area from Chamba was given to the Mughals by Todarmal. Pratap Singh Varman defeated Guler Chandra Pal of Kangra and merged Guler into the state of Chamba.
14. Balabhadra (1589 AD) and Janardhan – Balabhadra was very kind and generous. People called him ‘Bali-Karna’. His son Janardhan removed him from the throne and sat on the throne himself. At the time of Janardhan, King Surajmal of Nurpur escaped from the Mughals and was hiding in his princely state. Surajmal’s brother Jagat Singh was made the protector of the Kangra Fort by the Mughals, who became the king of Nurpur after Surajmal. During Jahangir’s visit to Kangra in 1622 AD, the king of Chamba went to meet Janardhan and his brother Jahangir.There was a battle in the battle between Chamba’s King Janardhan and Jagatsingh in which Chamba’s army was defeated. Bhismar, Janardhan’s brother was killed in the war. Janardhan was also deceived by Jagat Singh in 1623 AD. Balabhadra was again made king of Chamba. But Chamba remained in the possession of Jagatsingh for 20 years.
15.Prithvi Singh (1641 AD) – Jagat Singh revolted against Shahjahan in 1641 AD. Taking advantage of this opportunity, Prithvi Singh with the help of Mandi and Suket crossed Rohtang Pass, Pangi, Churah and reached Chamba. Raja Mansingh of Guler, who was an enemy of Jagat Singh, also helped Prithvi Singh. Prithvi Singh gave a good tahsil to King Sangram Pal of Basauli and aligned with him. Prithvi Singh, after attaining his kingdom, built a kothi for the Raj officers in Churah and Pangi.Bhalai was given to Chamba in 1648 AD. Prithvi Singh was a contemporary of Mughal emperor Shah Jahan. He traveled to Delhi 9 times during the reign of Shah Jahan and got the statue of ‘Raghubir’ by Shah Jahan in Bhat. Khajjinag (Khajiyar), Hidimba Temple (Mahela), and Sitaram Temple (Chamba) in Chamba were built by Batlu, the nurse (midwife) of Prithvi Singh, who protected Prithvi Singh’s life.
16. Chatar Singh (1664 AD) – Chatar Singh attacked Basauli and captured Bhalei. Chatar Singh was a contemporary of Aurangzeb. In 1678 AD, he refused to accept Aurangzeb’s order to destroy all Hindu temples.
17. Uday Singh (1690 AD) – After the death of his uncle Wazir Jai Singh, Raja Udai Singh, the son of Chatar Singh, appointed a barber to fall in love with his daughter and appointed the wazir of Chamba.
18. Ummed Singh (1748 AD) – During the reign of Ummed Singh, Chamba kingdom spread to the boundary of Mandi. Ummed Singh’s son Raj Singh was born in Rajnagar. Umaid Singh built ‘Nada Mahal’ in Rajnagar. The foundation of Rangmahal (Chamba) was also laid by Ummed Singh. After her death, she left the order to the queen not to commit sati. Umaid Singh died in 1764 AD.
19. Raj Singh (1764 AD) – Raj Singh became king at the age of 9 after the death of his father. The arrogant Chand snatched the Pathiyar from Chamba. But Rani retrieved it with the help of Ranjit Singh of Jammu. There was a war between Raja Raj Singh of Chamba and Raja Sansar Chand of Kangra to occupy the Rihalu area. Raja Raj Singh died during the war in 1794 AD near Shahpur. Nikka, Ranjha, Chhajju and Harku were accomplished artists in the court of Raj Singh.
20. Jeet Singh (1794 AD) – During the time of Jeet Singh, Chamba state sent Nathu Wazir with soldiers in the war against Sansarchand. Nathu Wazir went to fight a war under Gorkha Amar Singh Thapa, Mahanchand etc. of Bilaspur.
21. Charhat Singh (1808 AD) – Charhat Singh became king at the age of 6. Nathu used to watch the wazir rule. Rani Sharda (Mother of Charhat Singh) established the Radha Krishna Temple in 1825 AD. Rajadar Ratun of Padar attacked Zaskar in 1820-25 AD and made him part of Chamba. After the death of Nathu Wazir in 1838 AD, ‘Wazir Bhaga’ was appointed the Wazir of Chamba. In 1839, Vigne and General Cunningham traveled to Chamba. Charhat Singh died at the age of 42 in 1844 AD.
22. Mr. Singh (1844 AD) – Mr. Singh ascended the throne at the age of 5. The Lakshadshah Brahmin was controlling the https://himexam.com/wp-content/uploads/2021/12/Madhya-Pradesh-MP-PEB-Group-2-Sub-Group-4-Various-Post-Answer-Key-2021.jpgistration at the time of Mr. Singh, who was killed in a bull. The British gave Chamba to Raja Gulab Singh of Jammu in 1846 AD, but with the efforts of Wazir Bhaga, Sir Henry Llerance allowed the current status of Chamba. Bhadarwah was forever transferred from Chamba to Jammu. At the time of Shri Singh, Chamba came under the British in 1846 AD. Mr. Singh was awarded a treaty on April 6, 1848.
Shrin Singh remained devoted to the British during the revolt of 1857 AD. He sent army under Mian Avtar Singh to help the British at Dalhousie. Wazir Bhaga retired in 1854 AD and was replaced by Wazir Billu. Major Blair Reid became the superintendent of Chamba in 1863 AD. The post office was opened in 1863 AD. The Chamba forests were given to the British on a 99-year lease. Mr. Singh died in 1870 AD.
23. Gopal Singh (1870 AD) – Mr. Singh’s brother Gopal Singh ascended the throne. He did many things to enhance the beauty of the city. During his tenure, Lord Mayo Chamba came in 1871 AD. Gopal Singh was removed from the throne and his elder son Sham Singh was made king in 1873 AD.
24. Sham Singh (1873 AD) – Sham Singh was made king at the age of 7 by General Renal Taylor and Mian Avtar Singh was made the wazir. Sir Henry Davis visited Chamba in 1874 AD. Sham Singh attended the Delhi Durbar of 1875 AD and 1877 AD. In the year 1878 AD, John Harry was appointed as the teacher of Sham Singh. The Durbar Hall in the palace of Chamba was added in the name of C.H.T. Marshal. In the year 1880, cultivation of haps started in Chamba. Sir Charles Etikasn traveled to Chamba in 1883 AD.
In 1875 AD, Colonel Reid’s hospital was demolished and in 1891 AD, a 40-bed Sham Singh Hospital was built. The Shitala Bridge on the Ravi River, which was broken in 1894 AD, was flooded. An iron suspension bridge was built in its place. Bhatiyat revolts in 1895 AD. Mian Bhuri Singh, younger brother of Sham Singh, was made a wazir in 1898 AD. In 1900 AD, Lord Curzon and his wife visited Chamba. Sham Singh fell ill in 1902 AD. In the year 1904 AD, Bhuri Singh was made the king of Chamba.
25. Raja Bhuri Singh (1904 AD) – Raja Bhuri Singh was conferred with the title of Knighthood on 1 January 1906 AD. Bhuri Singh Museum was established in 1908 AD. Raja Bhuri Singh assisted the British in the First World War (1914–18). A power house was constructed on Sal river in 1910 AD, which provided electricity to the city of Chamba. Raja Bhuri Singh died in 1919 AD. After the death of Raja Bhuri Singh, Tikkaram Singh (1919–1935) became the king of Chamba.
26. Raja Laxman Singh – Raja Laxman Singh was made the last king of Chamba in 1935 AD. The Chamba princely state became a part of Himachal Pradesh on 15 April 1948.
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